कवितावली | Kavitavali के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कवितावली है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Goswami Tulsidas | Goswami Tulsidas की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Goswami Tulsidas | इस पुस्तक का कुल साइज 225 KB है | पुस्तक में कुल 31 पृष्ठ हैं |नीचे कवितावली का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कवितावली पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Kavitavali | This Book is written by Goswami Tulsidas | To Read and Download More Books written by Goswami Tulsidas in Hindi, Please Click : Goswami Tulsidas | The size of this book is 225 KB | This Book has 31 Pages | The Download link of the book "Kavitavali " is given above, you can downlaod Kavitavali from the above link for free | Kavitavali is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |
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पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ लरिका सँग खेलत डोलत हैं सरजू-तट चौट हाट हिएँ। तुलसी अस बालक-सों नहि नेहु कहा जप जोग समाधि किएँ नर वे खर सूकर स्वान समान कहौ जगमें फलु कौन जिएँ सरजू बर तीरहि तीर फिरै रघुबीर सखा अरु बीर सबै धनही कर तीर, निषग कसे कटि पीत दुकूल नवीन फबै तुलसी तेहि औसर लावनिता दस चारि नौ तीन इकीस सबै मति भारति पंगु भई जो निहारि बिचारि फिरी उपमा न पबै॥