सत्संग की कुछ सार बातें | Satsang Ki Kuch Saar Baatein के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सत्संग की कुछ सार बातें है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Jaydayal Goyandka | Jaydayal Goyandka की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Jaydayal Goyandka | इस पुस्तक का कुल साइज 384 KB है | पुस्तक में कुल 10 पृष्ठ हैं |नीचे सत्संग की कुछ सार बातें का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सत्संग की कुछ सार बातें पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Satsang Ki Kuch Saar Baatein | This Book is written by Jaydayal Goyandka | To Read and Download More Books written by Jaydayal Goyandka in Hindi, Please Click : Jaydayal Goyandka | The size of this book is 384 KB | This Book has 10 Pages | The Download link of the book " Satsang Ki Kuch Saar Baatein" is given above, you can downlaod Satsang Ki Kuch Saar Baatein from the above link for free | Satsang Ki Kuch Saar Baatein is posted under following categories dharm |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
मनुष्य-जीवन के समय को अमूल्य समझकर उत्तम-से-उत्तम काममें व्यतीत करना चाहिये एक क्षण भी व्यर्थ नहीं बिताना चाहिये यदि किसी कारणवश कभी कोई क्षण भगवत-चिंतनके बिना बीत जाय तो उसके लिये पुत्रशोकसे भी बढ़कर घोर पश्चाताप करना चाहिये, जिससे फिर कभी ऐसी भूल न हो जिसका समय व्यर्थ होता है, उसने समय का मूल्य समझा ही नहीं मनुष्यको कभी निकम्मा नहीं रहना चाहिये; अपितु सदा-सर्वदा उत्तम-से-उत्तम कार्य करते रहना चाहिये मनसे भगवान् का चिंतन, वाणीसे भगवान् के नामका जप, सबको नारायण समझकर शरीर से जगज्जनार्दनकी नि:स्वार्थ सेवा यही उत्तम-से-उत्तम कर्म है बोलने के समय सत्य, प्रिय, मित और हितभरे शास्त्रानुकूल वचन बोलने चाहिये।
anmol vani