सम्मेलन-पत्रिका कला | Sammelan Patrika Kala

सम्मेलन-पत्रिका कला | Sammelan Patrika Kala

सम्मेलन-पत्रिका कला | Sammelan Patrika Kala के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : सम्मेलन-पत्रिका कला है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rampratap Tripathi | Rampratap Tripathi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 21.0 MB है | पुस्तक में कुल 496 पृष्ठ हैं |नीचे सम्मेलन-पत्रिका कला का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सम्मेलन-पत्रिका कला पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature

Name of the Book is : Sammelan Patrika Kala | This Book is written by Rampratap Tripathi | To Read and Download More Books written by Rampratap Tripathi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 21.0 MB | This Book has 496 Pages | The Download link of the book "Sammelan Patrika Kala" is given above, you can downlaod Sammelan Patrika Kala from the above link for free | Sammelan Patrika Kala is posted under following categories literature |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 21.0 MB
कुल पृष्ठ : 496

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

शिल्पी की अनुसंधत्सु दृष्टि केवल बाह्य रूप से ही टकरा कर नही लौट आती, वह उसके भीतरी रहस्य का भी पता लगा लेना चाहती है। समस्त कला-साधको की दृष्टि अज्ञात, अज्ञेय और अगोचर से आँख मिलाने की दुनिवार इच्छा लेकर साधना-पथ पर अग्रसर होती है। शिल्म के इस रहस्य को हृदयंगम करके जब कोई प्रतिभावान शिल्पी रचना करता है तो वह रस-सृष्टि करने का अधिकारी होता है। मानव शिल्पी के जीवन-काल में ऐसी घटना विरल होने पर भी समय-समय पर नहीं घटती ऐसी बात नही।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *