हिंदी राजतरंगिणी | Hindi Rajatrangin के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : हिंदी राजतरंगिणी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : G. K. Dwived | G. K. Dwived की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : G. K. Dwived | इस पुस्तक का कुल साइज 183.7 MB है | पुस्तक में कुल 580 पृष्ठ हैं |नीचे हिंदी राजतरंगिणी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हिंदी राजतरंगिणी पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Hindi Rajatrangin | This Book is written by G. K. Dwived | To Read and Download More Books written by G. K. Dwived in Hindi, Please Click : G. K. Dwived | The size of this book is 183.7 MB | This Book has 580 Pages | The Download link of the book "Hindi Rajatrangin " is given above, you can downlaod Hindi Rajatrangin from the above link for free | Hindi Rajatrangin is posted under following categories history |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
पाश्चात्य विद्वानों की सम्मति से हमारे भारतवर्ष में ऐतिहासिक ग्रन्थों का नितान्त अभाव है। इतिहास के वास्तविक ज्ञान के लिए ताम्रपत्र, शिलालेख प्राचीन मुद्राएँ तथा पुरातन भग्नावशेष के अतिरिक्त दूसरी कोई भी साधनसामग्री नहीं है। परन्तु हम इस कथन को सर्वथा सत्य नहीं मान सकते क्योंकि यह कथन भ्रमपूर्ण है। इस प्रकार के भ्रम का कारण भारतीय प्राचीन विद्वानों की इतिहासविषयक उदासीनता ही है। हमारे भारतीय प्राचीन पण्डितप्रकाण्ड पाश्चात्यपद्धति के अनुसार ऐतिहासिक तथ्य के अन्वेषण के महत्व को न समझ कर उस ओर उपेक्षा दृष्टि से अवलोकन करते हैं।