फिर निराशा क्यों | Fir Nirasha Kyon के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : फिर निराशा क्यों है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Gulabray | Gulabray की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Gulabray | इस पुस्तक का कुल साइज 2 MB है | पुस्तक में कुल 87 पृष्ठ हैं |नीचे फिर निराशा क्यों का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | फिर निराशा क्यों पुस्तक की श्रेणियां हैं : Social
Name of the Book is : Fir Nirasha Kyon | This Book is written by Gulabray | To Read and Download More Books written by Gulabray in Hindi, Please Click : Gulabray | The size of this book is 2 MB | This Book has 87 Pages | The Download link of the book "Fir Nirasha Kyon" is given above, you can downlaod Fir Nirasha Kyon from the above link for free | Fir Nirasha Kyon is posted under following categories Social |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
जब संसार की यह देशा है तो फिर यहां सुग्ध के। इसी अम्मारना पर विचार कर भारतवर्ष के अनेक ऐश्वर्य सम्पन्न गृहस्थ पराक्रमी शुरवीर एवं संमार विजयी सम्राट अपने सब सांसारिक ऐश्वर्य तथा गन्याइवर को त्याग वन के नल गये और ईश्वराराधाना में अपना शेष जीवन व्यतीत किया। इनके अनन्द का आदर्श निम्न लिखित श्लोक में ज्ञान होगा ।