कंटीले फूल लजीले कांटे | kanteele Phool Lajeele Kante

कंटीले फूल लजीले कांटे | kanteele Phool Lajeele Kante

कंटीले फूल लजीले कांटे | kanteele Phool Lajeele Kante के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कंटीले फूल लजीले कांटे है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ilachandra Joshi | Ilachandra Joshi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 13 MB है | पुस्तक में कुल 129 पृष्ठ हैं |नीचे कंटीले फूल लजीले कांटे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कंटीले फूल लजीले कांटे पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : kanteele Phool Lajeele Kante | This Book is written by Ilachandra Joshi | To Read and Download More Books written by Ilachandra Joshi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 13 MB | This Book has 129 Pages | The Download link of the book "kanteele Phool Lajeele Kante" is given above, you can downlaod kanteele Phool Lajeele Kante from the above link for free | kanteele Phool Lajeele Kante is posted under following categories Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 13 MB
कुल पृष्ठ : 129

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ऊपर कोठे पर से एक बहुत ही धीमी, ऊंघती और कराहती हुई-सी आवाज़ दुमंजिले से छत को जाने वाले जीने से ही कानों में भनकती है। दो बाँके युवक दबे-पाँव दो सीढ़ियाँ चढ़कर ठहर-से जाते हैं। एक साँवले रंग का मझोले कद का आदमी, जिसके सिर के रूखे बाल प्राधे बिखरे हैं और जिसकी जुड़ी हुई भौंहों के नीचे स्थित आँखों के दो बिलों में दो चिनगारियाँ दहकती-सी मालूम होती हैं, तहमत के ऊपर एक मैली-सी बनियाइननुमाँ बंडी पहने है। वह फटी-सी आवाज़ में कहता है, "चले आइये बाबू जी, बहुत अच्छा माल है ! आपकी तबीयत खुश हो जायगी !"

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