श्री भागवत-सुधा | Shri Bhagwat Sudha के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री भागवत-सुधा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Harihranand Saraswati | Shri Harihranand Saraswati की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Harihranand Saraswati | इस पुस्तक का कुल साइज 18.1 MB है | पुस्तक में कुल 354 पृष्ठ हैं |नीचे श्री भागवत-सुधा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री भागवत-सुधा पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm
Name of the Book is : Shri Bhagwat Sudha | This Book is written by Shri Harihranand Saraswati | To Read and Download More Books written by Shri Harihranand Saraswati in Hindi, Please Click : Shri Harihranand Saraswati | The size of this book is 18.1 MB | This Book has 354 Pages | The Download link of the book "Shri Bhagwat Sudha" is given above, you can downlaod Shri Bhagwat Sudha from the above link for free | Shri Bhagwat Sudha is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
तेज एक है। वही तेज जल आदि के क्रम से घट होता है। घट में जल एवं जल में सूर्य आदि रूप तेज का ही होता है। अनेक घटों में अनेक प्रतिबिम्ब तेज के होते हैं। उन प्रतिबिम्बों की अपेक्षा से ही तेज में बिम्बत्व की कल्पना होती है। बिम्ब प्रतिबिम्ब की एकता समझना सुगम है, परन्तु घट, जल एवं तेज की एकता समझना कठिन है। इसी प्रकार आत्मा, परमात्मा की बिम्बप्रतिबिम्ब रूप से एकता समझ लेना अनायास सिद्ध है। परन्तु, अचेतन रूप से प्रतीयमान प्रपञ्च की परमात्मा से एकता अनुभव करना कठिन है।