सेठ गोविन्द दास की जीवनी हिंदी पुस्तक | Seth Govind Das Ki Jeevni Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 4.81 MB है | पुस्तक में कुल 184 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography
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श जिसका जीवन-चरित लिखा जाता है उसकी उस चरिव में प्रशंसा तो की ही जाती है। में उस दोष से मुक्त नहीं हो सकती फिर मेरे वे पिता हैं जैसी मैं हूँ बैसा मुख बनाने में चन्होने कोई कसर नहीं रखी मैं यह थी जानती हूँ कि उनकी संतानो मे में ही उन्हें सबसे अधिक प्यारी हूँ। ऐसी परिस्थिति में मेरे द्वारा उनकी अधिक श्रशंसा हो जाना उनके सम्बन्ध में झतिशयोक्तियो का झा जाना कोई असंभव बात नहीं है। फिर भी मैंने अपने छोर से सयम रखने के प्रयत्न से कमी सही की है। में भावुक हूँ झतः उनके त्याग के वणुंन लिखते समय भावुकता के कारण संभव है मेरा यद सयम सुमसे ठीक तरह से न निम सका हो । यदि और कुछ नहीं तो मेरे द्वारा उनकी यदद स्तुति ही समझ ली जाय। पुत्री को पिता की श्और ऐसे पिता की स्तुति करने का तो कस से कम हक है हो । कुछ स्थानों पर मैंने उनकी आलोचना भी की है । उनका दुलवल्दी के इस समय का राजनैतिक जीवन सुख पसन्द नही है । उनका रोज़गार-धन्था करना भी मुझे अच्छा नही लगता । मेरा मत है कि दे दल बन्दी के कीचड़ मे रहने तथा धन कसाने नदी और ही कुछ करने आये हैं। बहुत ध्यान-पूवंक सोचने पर मेरा यह निश्चित सत है कि वे जितने बड़े आदमी समझे जाते हैं उससे कद्दी अधिक बड़े है। मेरा विश्वास है कि यदि साहित्य-द्ेत्र सें बे काम करें तो कुछ अमर कृतियों छोड जा सकते हैं। मैं जानती हूँ कि उनके हृदय में देशभक्ति कूद-कझूटकर भरी है श्र उसके साथ जोश है तथा त्याग। मैं जानती हूँ कि क्रान्तिकाल के युद्ध के समय वे