हिंदुत्व : वीर सावरकर | Hindutva : Veer Savarkar के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : हिंदुत्व है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Veer Savarkar | Veer Savarkar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Veer Savarkar | इस पुस्तक का कुल साइज 14.8 MB है | पुस्तक में कुल 167 पृष्ठ हैं |नीचे हिंदुत्व का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हिंदुत्व पुस्तक की श्रेणियां हैं : hindu, history
Name of the Book is : Hindutva | This Book is written by Veer Savarkar | To Read and Download More Books written by Veer Savarkar in Hindi, Please Click : Veer Savarkar | The size of this book is 14.8 MB | This Book has 167 Pages | The Download link of the book "Hindutva" is given above, you can downlaod Hindutva from the above link for free | Hindutva is posted under following categories hindu, history |
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और इन उपजातियांके परस्पर सम्बन्धसे उत्पन्न हुई सन्ततिके ही सम्बन्धमें नहीं है, बल्कि अति प्राचीन कालमें गरोह बनाकर सबसे अलग पृथक् पृथक् रहनेवाली “जड़ी जातियोंके सम्वन्धमें भी यही बात है। इसका दृष्टांत यदि देना हो तो मलावार या नेपालमें देहिये। वहां उअकुलके हिन्दुओंको अन्य याने हि द्वंतर जातियोंकी कन्याओंसे विवाह करने की अनुज्ञा है। ये जातियां आर्येतर हैं यह कल्पना ठीक भी हो तभी इन जातियोंने हिन्दू संस्कृतिकी रक्षा करनेमें जो प्रेम और पराक्रम दिखाया उससे मैं हिन्दु जातिमें मिला ली गयीं, यही नहीं, बल्कि सव बन्धनोंमें जो सबसे कोमल बन्धन है उस विवाह बन्धनसे उन्हें सदाके लिये हिन्दु-जातिसे बांध रा हैं। नागवंश क्या द्राविड़ वंश हैं ? नहीं, फिर भी जय अग्निवेशके पुरुषको नागकन्याए' अर्पण की गयी और इन दोनों अंशमें जब चन्द्रवंश और सूर्यवंशके क्षत्रियोंने अपनी कन्या को ध्याद दिया तब इनमें उनमें भेव ही क्या रहा ? बौद्धोके समयमें जब
मै मनीष कुमार गिरी गोस्वामी ? ?।
मैं एक हिन्दू हूँ। हिंदुत्व की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता हूं जो भी संविधान के दायरे में आता है। ?????????????????????????????????????????????????????????????????
कृपया आप अपने नजदीकी संघ शाखा में जायें। आप को सभी प्रकार से सही मार्गदर्शन मिलेगा।
जय श्री राम
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Every Hindu, Sikh, Jain, Budhisst who consider Bharat as their motherland must read this book. This book can produce many nationalists, if studied seriously and properly.
Sir I m Hindu Main sanatan dharm ki raksya main apna yogdaan dena chahta hun kripya mera margdarsan karen.. Jai shri ram