नरक दर नरक : ममता कालिया हिंदी पुस्तक मुफ्त पीडीऍफ़ डाउनलोड | Narak Dar Narak : Mamta Kaliya Hindi Book Free PDF Download

नरक दर नरक : ममता कालिया हिंदी पुस्तक | Narak Dar Narak : Mamta Kaliya Hindi Book

नरक दर नरक : ममता कालिया हिंदी पुस्तक | Narak Dar Narak : Mamta Kaliya Hindi Book

नरक दर नरक : ममता कालिया हिंदी पुस्तक | Narak Dar Narak : Mamta Kaliya Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : नरक दर नरक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Mamta Kaliya | Mamta Kaliya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 1.87 MB है | पुस्तक में कुल 166 पृष्ठ हैं |नीचे नरक दर नरक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | नरक दर नरक पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Narak Dar Narak | This Book is written by Mamta Kaliya | To Read and Download More Books written by Mamta Kaliya in Hindi, Please Click : | The size of this book is 1.87 MB | This Book has 166 Pages | The Download link of the book "Narak Dar Narak" is given above, you can downlaod Narak Dar Narak from the above link for free | Narak Dar Narak is posted under following categories Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 1.87 MB
कुल पृष्ठ : 166

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मरक दर नरक. बे जीवन में काफी चौकलने रहे थे फिर भी पता नहीं कसे बड़ी जल‍दी परेम उन दोनों के दीच घूसपंठ कर गया । तब रात का दकन था और दोनों अपने-अपने खकेलेपन से पदा हुई जरू- रतों के मारे हुए थे। बाद में कई वार उनहोंने इस वात का मजाक उड़ाया कई वार इसवी षयाधया वी अफसोस भी किया कि किसी धर माम से यह शयो नहीं हुआ। उन जैसे तरो हाजा दिमाग वाले लोगों को इतनी थिसी हुई संजञा परेम बसे ले बैठी पर कोई फायदा नहीं हुआ । परेम अपनी जगह डटा रदद । जगत बोला उसने नहीं सोचा था उस जेसा आदमी इस आसानी से पकड़ा जाएगा । उपा ने भी शरमाते हुए कहा उसने नहीं सोचा था पहली बार ही बह हमेशा के लिए बंघ जाएगी 1 फिर इस विपय पर वे दोनों चुप हो गए । जयादा बोलना दोनो के तिए खततरे पैदा कर सवता था । इसीलिए शायद परेम में मौन रहा जाता है । इतना वे ताड़ गए कि इस चुप में ही दोनों की भलाई है। बहरदाल वे सभी भजीबोगरीव हरवतें करते रहे जिनकी गणना परेमशासती परेम के यमतरगत वरते आए हैं। एक बार वे एलिफेसटा केवज की पूरी सोढ़ियाँ एक सांस में चढ़ गए । एक वार दिना पहुंचाने वे योशत सा गए । एक बार एक ही दिन में उनहोंने दो फिलमें देख ढाली । ऐसे ही एक घटना-पूरण दिन उनहोंने तय पिया दि वे शादी कर डालें । दरबसल दित-राते ईरानी रेसतराओ में बैठना भर समुद के दिलारे बंघेरा होने का इनताजार करना दोनों के लिए दुः खदायी परमाणित हो रहा था। बसे विवाह को जगन एक पतनोनमुय संसथा मानता था शर कं

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