आधुनिक हिंदी काव्य : गोपाल दत्त सारस्वत | Adhunik Hindi kavya : Gopal Datt Sarswat के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आधुनिक हिंदी काव्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Gopal Datt Saraswat | Gopal Datt Saraswat की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Gopal Datt Saraswat | इस पुस्तक का कुल साइज 1.6GB है | पुस्तक में कुल 516 पृष्ठ हैं |नीचे आधुनिक हिंदी काव्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आधुनिक हिंदी काव्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Adhunik Hindi kavya | This Book is written by Gopal Datt Saraswat | To Read and Download More Books written by Gopal Datt Saraswat in Hindi, Please Click : Gopal Datt Saraswat | The size of this book is 1.6GB | This Book has 516 Pages | The Download link of the book "Adhunik Hindi kavya" is given above, you can downlaod Adhunik Hindi kavya from the above link for free | Adhunik Hindi kavya is posted under following categories history |
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राम-न-गमन, दबाय-मरण एप सभण के मूच्छित होने पर करुण बता का परिपाक हुषा है । शाके में रण-शा के प्रसंग में था राम-रावल युद्ध में वीर रस का प्रकर्ष हैं। अन्तिम मार्ग में रि, रोद्र, भयानर पर अद्भुत रस के मुन्दर स्थल आए हैं। इससे सिद्ध है कि रात में शूगर का प्राधान्य है। सौर गौत से अन्य रसों की स्थिति है।
| गग-नरेश में शूगार रस प्रधान है। दमयन्ती के सौन्दर्य को कभी मुले का नत को पूरा हो जाता है। इमली भो हंस के राजा मत के औरत्व एवं सौन्दर्य ।। वृत्तात सुनकर काम-षा से पीड़ित हो भी है। इस सम्पुर्ण प्रसंग में विश्लभ 'गार को मर्मस्पर्शी अभियना मिलती है । लन और दमयमलो के ऋगार-4न में कवि ने परम्परागत सभी उपकरणों को अनाधा है। अन्य म गौण रूप से घए है।
| सिद्धार्थ में शुगर के उभय पक्ष-वन पौर वितभी प्रधानता है। 'योग' और 'राग' नाम के आगों में संयोग ऋगार का पूर्ण वर्ष है। गिद्धार्ग पर यशोधरा के विवाह, दाम-हिर, मनोत्सव की शपथ कोड़ा में संयोन भगार को पत्र भी प्रस्तुत की गई है। सोगा गर्ग में शोध की विरहावस्या का वर्णन है। इस मार्ग में प्रादि से आग तक यशोपरा की निगोन-अधा का मर्म चित्रण है। किसी का #मशः सरोजकशी, अमर उमा शेरी नदो ने अपने दैन्य । पर्गन, हंस हो। पति को संदेश पर विमा ३ प्रणिपति के लौटने का समाचार याद नो में बिपराभ को पूर्ण प्रणा हुई है। सिद्धार्थ के इस ' के अकेले -धन के प्रसंग में सभी रसां का समावेश पाया जाता है।
सिद्धार्थ के बालो वर्णन में मत्व एव ह भगवान के प्रदेश के प्रमों में शान रस का पूर्ण स्रोत नकता है। इस प्रर गोकर्ष को दृष्टि से सिद्धाय पासा पर हैं।
दैत्य वंश में भंगार पर और रस धन है । लोपावर मोर घटाया मार्ग के गगन-वर्णन के प्रसंग में योग भार की मधुर ध्यान। गाई तो है। स्वयंभर में लक्ष्मी अब विष्णु के कंठ में जपमाला पहनाता है, तब उनके मा ५ उत्पन्न हो जाता हैं पर रोमांचित हो जाने में मुक हो जाता
१-नन-नोश, १॥५-०। ३–अही, हों ।।। ३-सिद्धार्थ, १० २० ।