दक्षिण भारत के पर्यटन स्थल हिंदी पुस्तक पीडीऍफ़ में | Dakshin Bharat ke Paryatan Sthal hindi book in pdf के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : दक्षिण भारत के पर्यटन स्थल है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Roopsingh chandel | Roopsingh chandel की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Roopsingh chandel | इस पुस्तक का कुल साइज 6.49 MB है | पुस्तक में कुल 186 पृष्ठ हैं |नीचे दक्षिण भारत के पर्यटन स्थल का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | दक्षिण भारत के पर्यटन स्थल पुस्तक की श्रेणियां हैं : india, Knowledge, Uncategorized
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दो शब्द भ्रमण मेरी कमजोरी है। जिन्दगी की व्यस्तता से जब भी कुछ क्षण चुराने का अवसर मिला यथा सुविधा सपरिवार कही न कहीं के लिए निकल गया। देश का जितना भाग अब तक मझा चुका हू उससे कई गुना अभी देखना शेष है। जब और जहां गया उस पर कुछ लिखने का प्रयत्न अवश्य किया । नोट्स लेता आधारभूत सामग्री एकन्रित करता लेकिन क्रमबद्ध और व्यवस्थित रूप से लिख नहीं सका सिवाय बिठूर पर लंबे यात्रा सस्मरण के जहां की मैंने तीन बार यात्रा की थी और जो लिखने के बहुत बाद पहल पत्रिका मे प्रकाशित हुआ था। लेकिन मार्च 1997 में जब दक्षिण भारत के प्रमुख पर्यटन केन्द्रों की यात्रा के लिए निकला तब इस तैयारी के साथ कि लौटकर उसे कलमबद्ध अवश्य करूगा | पर्यटन स्थलों को देखने-समझने का मेरा अलग ही दृष्टिकोण होता है। उन स्थलों की यात्रा मेरे लिए क्रेवल उनके वर्तमान को देखने-जानने तक ही सीमित नहीं रहती । मै उनके ऐतिहासिक-पौराणिक कालखण्डो में भी सेंध लगाने का प्रयत्न करता हूं और जो कुछ भी महत्वपूर्ण हाथ लगता है उसे यथासंभव प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत करना चाहता हूं। तिरुअनंतपुरम से मामल्लपुरम (महाबलीपुरम) के अपने इस पर्यटन में मैने यही प्रयत्न किया है। पर्यटन स्थलों से संबंधित जो भी जानकारी मुझे उपलब्ध हुई वह तो सकलित की ही लेकिन यात्रा के प्रारभ से अंत तक मिलमे-घूमने वाले सहयात्रियों की भूमिका को भी नहीं नकार सका | वास्तव मे यात्रा की जीवन्तता भी उन्ही से थी। अपने इस पर्यटन को भलीभाति में शायद ही कलमवद्ध कर पाता यदि मुझे पंजाबी लेखक-कवि-पत्रकार मित्र बलबीर मधोपुरी ने कुछ महत्वपूर्ण आधारभूत सामग्री उपलब्ध न करवाई होती । मै काचीपुरम और महाबलीपुरम की टूरिस्ट बस के गाइड श्री वेणु गोपाल को भी नहीं भूल सकता जिन्होंने मेरे एक पत्र के उत्तर में तुरत लौटती डाक से