ज्योतिषतत्त्वम (उत्तरार्द्धम) : पंडित मुकुंद देव | Jyotish Tatvam (Uttararddham) : Pandit Mukund Dev के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : ज्योतिषतत्त्वम है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pandit Mukund Dev | Pandit Mukund Dev की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pandit Mukund Dev | इस पुस्तक का कुल साइज 119 MB है | पुस्तक में कुल 687 पृष्ठ हैं |नीचे ज्योतिषतत्त्वम का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | ज्योतिषतत्त्वम पुस्तक की श्रेणियां हैं : jyotish
Name of the Book is : Jyotish Tatvam | This Book is written by Pandit Mukund Dev | To Read and Download More Books written by Pandit Mukund Dev in Hindi, Please Click : Pandit Mukund Dev | The size of this book is 119 MB | This Book has 687 Pages | The Download link of the book "Jyotish Tatvam" is given above, you can downlaod Jyotish Tatvam from the above link for free | Jyotish Tatvam is posted under following categories jyotish |
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मुतभाचिन्नप्रकरणं सप्तविंशम् पञ्चम में कर्क मेप या वृष राशि हो और उस में राहु या केतु हो तो सन्तान में उत्पाते में विलम्प नहीं होता है अर्थात् ३ न् ।नोदय होता है । इसाय पञ्चम सभ वा देन्द्र में मैश हो अथवा गुरु की आक्रान्ति राशि से जो वम । ६ ६ ]भ ह की राशि हो और इभ आइ से बुक । सो पुत्र से राक्ष होता है। पुत्राप्ति योगः
परस्परं पश्यत आत्मजाताङ्केशा उतान्योन्यभगौ युतौ बा। अथात्मजेशे परिपूर्णवीर्ये चेद्गोपुरे या मृदुभागयते ॥ १० ॥ किं कामपस्थांशपतौ शुभार्थदेशदृष्टे ऽथ शुभेशदृष्टे । मुते सुतेशामरपूजितांध्यावशिपिकांशे ऽथ तपःमतेशोः ॥ ११ ।। पावतांझादिगयोधनेशे सदृष्टियते सुतलब्धिरेषु ।। होरेश्वरस्थांशपतौ प्रबन्धे प्रबन्धभावेशयुतांशये ऽहे ।। १२ । किं केन्द्र इज्यस्थितभागपे वा बगीचमांशे धिपणेऽङ्गपस्य । नवांशप सौभ्यखग समेत दृष्ट्रे सुतेशेन किमर्थनाचे ।। १३ ।। सून सवीर्ये च विक्षेपितांश जीवे ऽथ केन्द्र सशुभाङ्गधीशौ । स्वेशेससारे ऽध सुते ऽङ्गनाथे बलान्वित घीशगुरू मुताप्तिः ।। १४ ॥
पंचमेश और लग्नेश ये दोनों परस्पर एक दूसरे को देखते हों तो (१) पञ्चमैश और ला ये दोनों परस्पर एक दूसरे की राशि में हो अर्थात् १३॥ ८॥ की राशि में और 8 पश्चमेश की राशि में हो तो ( २ ) प्रेश और मधमेश में दोनों एक ही स्थान में हो तो (३) गोपुरांश थे। मृइंश में परिपूर्ण मळी पञ्चमेश है। तो (४) सप्तमेश के नवांश का स्वामी यदि नवमेश, द्वितीयेश तथा देश से दृष्ट हो तो (५ )पञ्चम स्थान को नवमेश देता है और वैशेषिकांदा में पञ्चमेश तथा गुरु हैं तो ( ६ ) पारावतांशादि में नथमेश तथा पञ्चमैश हों और लग्न का स्वामी यदि शुभ ग्रहों से दृश हो तो पुत्र प्राप्ति होती है। पञ्चम में सनेश के नवांश का स्वामी हो और रूम में पञ्चमेश के नयांश का स्वामी हो अथवा गुरु के नवाश या स्वामी यदि केन्द्र में हो यो ( १ ) बगत्तमांश में गुरु हो एवं जैश के नवांश का स्वामी शुभ ग्रह हो और यह पञ्चगेश से युक्त या दृष्ट हो तो ( २ ) पञ्चप में बन्दी द्वितीयेश हो और वै।।६कांश + 4]क हो तो ( ३ ) केन्द्र में देश तथा पञ्चमैश हो और वै शुभ ग्रह से युक्त हैं एवं द्वितीयेश बली है। तो (४) पञ्चम में नेश हो, पञ्चमेश तथा गुरु वे दोनों अली हो तो उस योगों में पुत्र की 4TH होती है।
पुंभांशगेषु पुरुपग्रहपीश्वरेषु
किं धीश्वरे पुरुषखेचरयुक्तदृष्टे । पुंभांशके पुरुपवेश्मनि वा सुतेने
सीक्षित बलबति त्रिकभेतस्थे ।। १५ ।। यो....१०,००
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सर, ये पुस्तक बहोत रियर है, इस पुस्तक का प्रथम पार्ट कहाँ मिलेगा। कयोकि इसमें 712 पेज से ये पुस्तक स्टार्ट है।
This book is the second part, the first part of valuable book “JYOTISH TATAVM” is required because with out First part this book is incomplete. May kindly arrange.
Namaskar
is kitab ka first part kaha hai.ye behtarreen kitab 700 Pagevke baad suru hoto hai
agar ap is jabardaet kitab ka first part bhi.uplabh kara sake to.bhohot meherbani hogi
dhanyawad
कृपया ज्योतिष तत्व भाग-1 कैसे और कहाँ मिलेगी मुझे बतायइये। मेरा फोन नम्बर 9418225980 हिमाचल प्रदेश
ज्योतिष की अमूल्य पुस्तक के लिए धन्येवाद
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Nice book joytishtatvan
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Please provide information regarding volume 1. It’s a great book. Thank you.
Purvardha ka and na honese ye adhura book hai
thanks for informing us about this.download link for this book has been updated sir. now you can get this book.
How to download Volume 1 (Purvardh) of this book Jyotish Tattvam.
How to get Part 1 of this book. You had mentioned that the download link has been updated, but still it doesn’t include the first part (Purvardh) of this book. Please, upload this missing Part 1 of this book also.
Thanks for letting us know, we are working on it and will post this book’s part 1 as soon as possible.
When do you expect to post Purvardh (Part 1) of this book Jyotishtattvam ?
We all are waiting for this book’s Part 1, for quite a while. It will be a great service. I wanted to express my gratitude in advance, once it is done.
Please, do try to post it at your earliest convenience.
Admin’s comment is not right. The download link still doesn’t have Volume 1 of this book – Purvardh.
Please, update it to include Volume 1 as well.
Please, post this Book’s Part 1 as soon as possible. We all would be so appreciative.
We have a conference coming up; and it will be very helpful.
With warm regards,
Adya S. Tripathi
I can’t download this book I need it urgently please
unable to download this book do the needful, with both part of this book. Please…….