प्रगति की राह | Pragati Ki Rah

प्रगति की राह | Pragati Ki Rah

प्रगति की राह | Pragati Ki Rah के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : प्रगति की राह है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Govind Ballabh Pant | Govind Ballabh Pant की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 15 MB है | पुस्तक में कुल 257 पृष्ठ हैं |नीचे प्रगति की राह का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | प्रगति की राह पुस्तक की श्रेणियां हैं : literature, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Pragati Ki Rah | This Book is written by Govind Ballabh Pant | To Read and Download More Books written by Govind Ballabh Pant in Hindi, Please Click : | The size of this book is 15 MB | This Book has 257 Pages | The Download link of the book "Pragati Ki Rah " is given above, you can downlaod Pragati Ki Rah from the above link for free | Pragati Ki Rah is posted under following categories literature, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 15 MB
कुल पृष्ठ : 257

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बिना किसी उपयोग के पड़ौसियो के साग-भाजियों की छोटी पौध उखाडकर फेंक देता। न किसी के खीरे की बेल में कोई खीरा बढ़ पाता और न किसी के मक्के की बात मे दाने पड़ पाते न नारंगी के पेड पर नारंगी पक पाती, न दाडिमी के पैड पर दादिमी ।। ऐसा उपद्रवी लड़का कोई देखा ही नहीं गया था उस मंज-भर मे माता-पिता विवश हो गए थे। पास-पड़ौसियों के आक्षेप-उलहनों से उनके कान पक गए थे। बहुत उसे मारा-पीटा, बिच्छू के भी साके दिये और ‘तान्’ गरम कर भी उसे दागा, परन्तु लछमियाँ न माना-- १ वह तो इस्पात हो गया।

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