एड्स और समाज : डॉ कृपाशंकर तिवारी | AIDS Aur Samaj : Dr. Kripashankar Tiwari | के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : एड्स और समाज है | इस पुस्तक के लेखक हैं : kriashankar tiwari | kriashankar tiwari की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : kriashankar tiwari | इस पुस्तक का कुल साइज 27.3 MB है | पुस्तक में कुल 176 पृष्ठ हैं |नीचे एड्स और समाज का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | एड्स और समाज पुस्तक की श्रेणियां हैं : health
Name of the Book is : AIDS Aur Samaj | This Book is written by kriashankar tiwari | To Read and Download More Books written by kriashankar tiwari in Hindi, Please Click : kriashankar tiwari | The size of this book is 27.3 MB | This Book has 176 Pages | The Download link of the book "AIDS Aur Samaj" is given above, you can downlaod AIDS Aur Samaj from the above link for free | AIDS Aur Samaj is posted under following categories health |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
'एस' हमारी समकालीन दुनिया की ऐसी भीषिका है, निससे मुक्ति का फिलहाल कोई सक्षम विकल्प हमारे पास नहीं है। एड्स के आतंक को त छायाएँ हमारे समय, समाज और दुनिया में ऊनाक ढंग से देखा और अनुभव की जाती हैं। उसकी भयावहता के कारनामे दर्ज हैं। आधुनिकता और उत्तर आधुनिकता की दौड़ में, विज्ञापन, बाजार, फैशनपरस्ती, भोगवाद के जनले और धन की अपार मदहोशी, तिलतिल कटनी जिन्दगी के कारण हुम संयम, विवेक और जीवन मूल्यों की फीता को लगभग अखास्त करते जा रहे हैं। यह हमारे समय के बारे में उसकी उपलशियों के बारे में निषेधात्मक नजरिया नहीं बल्कि एक ठोस वास्तविकता है। डा. कृपाशंकर तिवारी की दिलचस्पी विज्ञान, टैक्नालॉजी एवं सामाजिक अनुसंधानों के उन जैवत पहलुओं से हमेशा रही हैं जो मनुष्यता के विकास में शेयर बन रहे हैं। एड्स ऐसा ही एक पहलू है जिसने इमारे संसार को भौचक्का कर दिया है। पुस्तक में लेखक ने एड्स के तमाम पक्षों को विस्तार से समझने और समझाने का प्रयन किया है। एस की अवधारणा, एड्स को भावहता, होने गत मौतें, सामजिक जटिलताएँ, अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बोझ, एड्स से बचाव और उपचार, परिवारों पर पड़ने वाले प्रभाव, चिकित्सकस समस्याएँ, एड्स से सती औरतें, स्वास्थ्य की पेचीदगियो, कनी पेंच, एड्स से उफ्नो चिन्ताएँ, शंकाएँ इशंकाएँ आदि ऐसे अनेक प्रश्न प्रति प्रश्न लेक ने उठाये हैं। वैज्ञानिक प्रविधि एवं नई तकनीक के तत डॉ, तिवारी ने बेहिचक, बिना किसी साग-रेट के, पूरी ईमानदारी, जापरता और ऊष्मा के साय एड्स जैसे अभिशाप से उपजी ग्रासदी का विस्तृत ब्यौरा इस पुस्तक में उद्घाटित किया है। अक्सर विज्ञान एवं टेक्नालाजी से सम्बन्धित विषय का विवेचन करते वा भाषा दुरूह हो जाती है लेकिन इस पुस्तक की भाषा सरल, सहज और प्रभावी है। उसी रोचकता और रवानगी, अष्ट करती है। एड्स से सम्बद्ध उम्म पक्षों को जागर करने के लिए लेखक ने कहीं संस्मरणों का इस्तेमाल किया है, तो क संवेदनात्मकता और मानवीयता का। यह पुस्तक तथ्यों से भरपुर और आँकड़ों से परिपष्ट है। लेखक वा ध्यान विषय को ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी बनाने का रहा हैं। मुझे विश्वास है कि ऐसी पुस्तक का स्वागत समान करेगा। इसके माध्यम से हमारे समय को जटिलताओं का खुलासा तो होगा ही, साथ ही एड्स के चल में फँसे लोगों के प्रति एक सकारात्मक रुख भी शनै:-शनै: विकसित होगा।
-सेवाराम त्रिपाठी