कुंडली कल्पतरु (गणित भाग) : रमेश चंद्र जी पंड्या | Kundali Kalpataru (Ganit Bhag) : Ramesh Chdra Ji Pandya |

कुंडली कल्पतरु (गणित भाग) : रमेश चंद्र जी पंड्या | Kundali Kalpataru (Ganit Bhag) : Ramesh Chdra Ji Pandya |

कुंडली कल्पतरु (गणित भाग) : रमेश चंद्र जी पंड्या | Kundali Kalpataru (Ganit Bhag) : Ramesh Chdra Ji Pandya | के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : कुंडली कल्पतरु (गणित भाग) है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ramesh Chandra Ji Pandya | Ramesh Chandra Ji Pandya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 22 MB है | पुस्तक में कुल 408 पृष्ठ हैं |नीचे कुंडली कल्पतरु (गणित भाग) का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कुंडली कल्पतरु (गणित भाग) पुस्तक की श्रेणियां हैं : jyotish, Uncategorized

Name of the Book is : Kundali Kalpataru (Ganit Bhag) | This Book is written by Ramesh Chandra Ji Pandya | To Read and Download More Books written by Ramesh Chandra Ji Pandya in Hindi, Please Click : | The size of this book is 22 MB | This Book has 408 Pages | The Download link of the book "Kundali Kalpataru (Ganit Bhag)" is given above, you can downlaod Kundali Kalpataru (Ganit Bhag) from the above link for free | Kundali Kalpataru (Ganit Bhag) is posted under following categories jyotish, Uncategorized |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 22 MB
कुल पृष्ठ : 408

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प्राक्कथन
किसी जातक के जन्म समय के खगोल स्थित ज्यातिपिंडो, नक्षत्रों एवं ग्रहों की गति और स्थिति के आधार पर उसके जीवन पर पड़ने वाले उनके शुभाशुभ प्रभाव को बताने वाले शास्त्र को ही ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। अतः नक्षत्रों एवं ग्रहों को गति और स्थिति का जितना सूक्ष्म निरूपण होगा उतना ही उनके प्रभाव के सम्बन्ध में निरूपित कधन भी सही होगा लेकिन इस वास्तविकता को ध्यानान्तरित करते हुए। आज भी कई ज्योतिषीबंधु प्राचीन ग्रहलाघवीय स्थूल पद्धति से कुंडली निर्माण करते हैं। फलत: अनेकों जन्मकुंडलियाँ खोटी (अशुद्ध) बनी हुई मिली है और मिलती हैं।
| प्रहलाघवीय स्थूल पद्धति के सम्बन्ध में मैं यहाँ पर गुजरात के प्रसिद्ध गणितज्ञ स्वर्गीय प्राध्यापक श्री हरिहर प्रा. भट्ट द्वारा संवत् 2039 के संदेश प्रत्यक्ष पंचांग के पृष्ठ 100 पर दिये अपने लेख 'कुंडली ना सूक्ष्म गणित भी सरल पद्धति' में जो विचार प्रकट किये गये है उन्हें उद्धृत करना समीचीन समझता हूँ - 1. ग्रहलाघवीय पंचांगों में ग्रहों की गति बहुत ही खोटी (अशुद्ध) लेने
में आती है। उस कारण ग्रहलाघवीय ग्रहों में नव-नव अंश तक की भूल आती है। ................ ग्रहलाघवीय सूर्य होने से लग्न और दशम आदि में आधे अंश (30 कला) तक की गलती आती है। प्रहलाघव में जन्मलग्न निकालने की जो रीति बताई है उस प्रकार से गणित करने पर हिन्दुस्तान में (3s अक्षांश तक में) 30 कला और
उससे अधिक अक्षांशों में अधिक की गलती आती है। 3. सूर्योदय और सूर्यास्त के ठीक मध्य भाग में जब सूर्य आकाश में पूरे
दिन में सबसे अधिक ऊँचाई पर होता है, उस समय को स्पष्ट म या कहते है। हजार ज्योतिषियों में से नव सौ निन्नानवें ज्योतिषी ऐसा समझते है कि यह स्पष्ट मध्याइ स्थानीय घडो के ठीक 12 बजे होता है लेकिन यह बात गलत है। स्पष्ट मध्याइ स्थानीय घड़ी के 11.30 से 12.15 बजे तक में होता है। इस कारण भी लग्न और दशम आदि में चार अंश तक की भूल आती है। ग्रहलाघव में लग्न सारिणी के लिए चरखंड एक एक राशि के अन्तर पर लिये हुए है और पूरी राशि के दरम्यान लग्न एक ही गति से चलता है, ऐसा मानने में आया है। लेकिन वास्तविक रूप में वैसा
(x) ।

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5 Comments

  1. i feel difficulty to download कुंडली कल्पतरु (गणित भाग) : ज्योतिष पुस्तक – रमेश चंद्र जी पंड्या book. plz help.

  2. Please help I’m not be able to download some books like Jyotish Kalptaru,Indian Constitution.
    When I click on download button it shows error that says book not found on server.

  3. Hi,
    I am trying to download the above book , but somehow can’t manage. i would be very grateful if you send a right link.
    Many Thanks

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