माँ का हृदय (मदर) : मैक्सिम गोर्की | Maa Ka Hridya ( Mother ) : Maxim Gorki

माँ का हृदय (मदर) : मैक्सिम गोर्की | Maa Ka Hridya ( Mother ) : Maxim Gorki

माँ का हृदय (मदर) : मैक्सिम गोर्की | Maa Ka Hridya ( Mother ) : Maxim Gorki के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : माँ का हृदय (मदर) है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Maxim Gorky | Maxim Gorky की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 13 MB है | पुस्तक में कुल 414 पृष्ठ हैं |नीचे माँ का हृदय (मदर) का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | माँ का हृदय (मदर) पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Maa Ka Hridya ( Mother ) | This Book is written by Maxim Gorky | To Read and Download More Books written by Maxim Gorky in Hindi, Please Click : | The size of this book is 13 MB | This Book has 414 Pages | The Download link of the book "Maa Ka Hridya ( Mother )" is given above, you can downlaod Maa Ka Hridya ( Mother ) from the above link for free | Maa Ka Hridya ( Mother ) is posted under following categories Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 13 MB
कुल पृष्ठ : 414

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प्रस्तावना
र पुस्तक ६॥ ॐ माझे भविम गोकी ने माना अदर' नाम की पुस्तक का अनुन ६ ६ । सिके भतुवाद यू को माग सम वीhिa भाषाओं में निकल चुके हैं, झी शिक्षा का मनियाँ इन देशों में बिक चुकी हैं। सोवियट रूम में गहू है। किसानों को पानी र स्थानित मेवा, आधुनिक रूस का गह। महात्मा निन–अना के हैंकों में, म उन लेप में उन्होंने मन का गीत गाया ही मजा से उठाने के लिए जिला, ड ही को मालेरक मानना था—एक तो महात्मा टप को और 1 मि गी' में । इन द मइन् को की ग्रन्थ में उस भव-भक नेता की आत्मा पर वैसा ही गई। पत्र होता था तो हमारे गा गायों को आत्मा परहोता और रामामा से बोता है। अतु सवार के दो में प्रज्ञा-प्रेमी महालैइ में से एक, मैरिएम गो' के इस उपन्यास जो उस की सर्वश्रेष्ठ है। माना जाता है, हिन्दी-8 के सामने र हुए झझे मूड असूशना होती है।
५igभ को केवल ३६ म ॥ ३६ ५। । स्वतंत्र ‘मर मजा के अधिवारों में लिए उगातार 4 करनेवाला वीर सिंह = *म में अशा का पचायची त्य थापित करनेगाना एक हौ ३वा भी था। जब तक रूप में क्रत दौर मगदूरी मीद किसानों का राज्य स्थापित न हो गया, व तत्र मैमि गोक' ले वरपर अपना
वन ३ मौजज्ञातनी में है शनि छा । बक इसका भी बचपन से ही एक ऐसी क्ट हुई पतंग - दा जो यी ६, मित्र के प्र) से दहशती, डों से -
वी, मैं होती हुई मैदानों को पार की हुई जाती है और जिसको देखकर में मानदेच होकर उसके हे दौडते है और इसे दूर होते हैं। गोको वनश्न से अनाम था। उसकी ग र मायागद' का पइ इति या %ि ने दोनों में इतर मागे ५६ आटा गूमने तक के काम मा पेट भरने के vि #मे और इद में गली में कुत्तों के Hथ-Bाय झो-रोका ते वितः । न तो इनों चचे किस कान में पढने को मिला और न की है किसी कालेज या विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करने का मौका हो अपनी भन्दगी ३ मिला। उसका विश्वविद्यालय में संमrt ही रहा, जिसमें वह तर६ एए के अनुम को परीक्षा में बैङवा र मौर अपने इय को मौज-मसकर छह बनाने और अपनी मा हो मनुष्यमात्र की हैवा में लगाने का प्रयङ्ग काला रहा।
सन गोकी में कुछ लिजा है, अपनी आना है और अपने स्वयं मनुगों की

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