दरारें | Dararein के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : दरारें है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vinod Rastogi | Vinod Rastogi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Vinod Rastogi | इस पुस्तक का कुल साइज 12.0 MB है | पुस्तक में कुल 215 पृष्ठ हैं |नीचे दरारें का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | दरारें पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Dararein | This Book is written by Vinod Rastogi | To Read and Download More Books written by Vinod Rastogi in Hindi, Please Click : Vinod Rastogi | The size of this book is 12.0 MB | This Book has 215 Pages | The Download link of the book " Dararein" is given above, you can downlaod Dararein from the above link for free | Dararein is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |
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सरला की आँखों की नीद उड गयी। उसने ललित और दया की बातचीत का हर शब्द सुना था। वह पहले से ही यह अनुभव करती थी कि भैया की चिन्ता और उदासी का कारण वही है। वह कई बार भगवान से शिकायत कर चुकी थी कि उसने उसे लडकी क्यों बनाया और यदि लड़की ही बनाया था तो उसके भाई को धन क्यों नहीं दिया। वह एकान्त में कई बार अपने भाग्य को कोस चुकी थी, रो चुकी थी, मृत्यु की कामना कर चुकी थी। उसे लगता था कि जैसे लडकी होना ही पाप है। वह दिन रात इसी उधेड़बुन में रहती थी कि किस प्रकार भाई की चिन्ता दूर हो।