धरती है बलिदान की | Dharti Hai Balidan Ki

धरती है बलिदान की | Dharti Hai Balidan Ki

धरती है बलिदान की | Dharti Hai Balidan Ki

धरती है बलिदान की | Dharti Hai Balidan Ki के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : धरती है बलिदान की है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vachanesh Tripathi | Vachanesh Tripathi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 7.79 MB है | पुस्तक में कुल 63 पृष्ठ हैं |नीचे धरती है बलिदान की का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | धरती है बलिदान की पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, Knowledge

Name of the Book is : Dharti Hai Balidan Ki | This Book is written by Vachanesh Tripathi | To Read and Download More Books written by Vachanesh Tripathi in Hindi, Please Click : | The size of this book is 7.79 MB | This Book has 63 Pages | The Download link of the book "Dharti Hai Balidan Ki" is given above, you can downlaod Dharti Hai Balidan Ki from the above link for free | Dharti Hai Balidan Ki is posted under following categories history, Knowledge |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 7.79 MB
कुल पृष्ठ : 63

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एक बन्दी का ऐसा दुस्साहस और वह भी काला पानी जेल में बिफर कर वह दैत्याकार अंग्रेज जेलर उठकर पिटा पं० परमानन्द पर परमानन्द ने पेंतरा बदलकर उसका प्रहार बचाया और एक घैसा ऐसा कसकर बारी की फूली हुई भारी ताद में मारा कि वह धराशायी हो गया परमानन्द चढ़ बैठे उसकी छाती पर और लगे उसे ले दनादन पीटने जेलर चिल्लाया तो सिपाही लाठी-डण्डे लेकर दौड़े चले आये। उन्होंने लाठियाँ बरसाकर परमानन्द जी को भूमि पर गिरा दिया। जेलर बारी ने जी भरकर उनको पिटवाया उससे उनकी पीठ पर जो घाव बने, उनके चिहून जीवन भर बने रहे।

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