धरती के देवता | Dharti Ke Devta

धरती के देवता | Dharti Ke Devta

धरती के देवता | Dharti Ke Devta के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : धरती के देवता है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Sampatlal Purohit | Sampatlal Purohit की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.4 MB है | पुस्तक में कुल 200 पृष्ठ हैं |नीचे धरती के देवता का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | धरती के देवता पुस्तक की श्रेणियां हैं : Knowledge, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Dharti Ke Devta | This Book is written by Sampatlal Purohit | To Read and Download More Books written by Sampatlal Purohit in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3.4 MB | This Book has 200 Pages | The Download link of the book "Dharti Ke Devta" is given above, you can downlaod Dharti Ke Devta from the above link for free | Dharti Ke Devta is posted under following categories Knowledge, Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी : ,
पुस्तक का साइज : 3.4 MB
कुल पृष्ठ : 200

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

इसीलिए तो कोई कुछ नहीं कहता माँ लाखों मानमिन्नतों के बाद तो वेटे का मुंह देखना मिला है। लेकिन दो अक्षर पढ जायेगा तो किसी का मुह तो नहीं ताकेगा आज पढ़े-लियों की | ही तो कदर होती है। देखो न धनराज सेठ के पास चिट्ठी-पत्री पढ़वाने के लिये सारा गॉव-का-गॉव दौड़ता है। फिर गॉव की पटेली भी तो इसे ही करनी है।सो तो है ही वेटी, इस बात मे रामू को कुछ भी नहीं कहना पडता सुबह-ही-सुबह पोथियाँ बगल मे देवाकर बिना कहे झट मदरसे के लिये चल पड़ता है। वैचा रोज एक कोस जमीन जाता और आता है।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.