भारतवर्ष में जातिभेद | Bharatvarsh Mein Jatibhed के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : भारतवर्ष में जातिभेद है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Kshitimohan Sen Shastri | Kshitimohan Sen Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Kshitimohan Sen Shastri | इस पुस्तक का कुल साइज 8.7 MB है | पुस्तक में कुल 272 पृष्ठ हैं |नीचे भारतवर्ष में जातिभेद का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | भारतवर्ष में जातिभेद पुस्तक की श्रेणियां हैं : politics, Knowledge
Name of the Book is : Bharatvarsh Mein Jatibhed | This Book is written by Kshitimohan Sen Shastri | To Read and Download More Books written by Kshitimohan Sen Shastri in Hindi, Please Click : Kshitimohan Sen Shastri | The size of this book is 8.7 MB | This Book has 272 Pages | The Download link of the book "Bharatvarsh Mein Jatibhed" is given above, you can downlaod Bharatvarsh Mein Jatibhed from the above link for free | Bharatvarsh Mein Jatibhed is posted under following categories politics, Knowledge |
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यह सबकी आकांक्षा होती है कि औरॉकी अपेक्षा मेरा मान और गौरव ज्यादा समझा जाय । इस उद्देश्यकी सिद्धिमें वंशगौरव एक प्रधान साधन है, इसीलिये सभी देशों में इसे पाने और पाकर सुप्रतिष्ठित बनाये रखनेके लिये अनेक प्रकारके प्रयत्न दिखाई देते हैं। इसीलिये नाना देशोंमें नाना भावसे 'वंशगत कोलीन्य या जातिभेदकी उत्पत्ति होती है। मिश्र अत्यन्त प्राचीन सभ्यताका स्थान है। वहुत प्राचीन कालमें यहां जमीन्दार, श्रमिक और क्रीतदास ( गुलाम ) ये तीन श्रेणियां थीं। धीरे-धीरे वहां योद्धा और पुरोहितका वंशगत गौरव बहुत ऊंचा माना जाने लगा और शिल्पी तथा क्रीतदासका स्थान उनके नीचे मान लिया गया । योद्धाओं और पुरोहितोंमें ही कोई-कोई लेखक भी हुए ।