मुगल दरबार भाग-4 | Mugal Darbar Bhag-4 के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मुगल दरबार भाग-4 है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Munshi Deviprasad | Munshi Deviprasad की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Munshi Deviprasad | इस पुस्तक का कुल साइज 17.14 MB है | पुस्तक में कुल 720 पृष्ठ हैं |नीचे मुगल दरबार भाग-4 का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मुगल दरबार भाग-4 पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Mugal Darbar Bhag-4 | This Book is written by Munshi Deviprasad | To Read and Download More Books written by Munshi Deviprasad in Hindi, Please Click : Munshi Deviprasad | The size of this book is 17.14 MB | This Book has 720 Pages | The Download link of the book "Mugal Darbar Bhag-4" is given above, you can downlaod Mugal Darbar Bhag-4 from the above link for free | Mugal Darbar Bhag-4 is posted under following categories history |
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जो बादशाही सेना परनाला से खेतावन को ओर चलो, जहाँ खेती अच्छी होती है ओर अन्न काफो मिलता है, कि वहीं छावनी डाले तब इस बहादुर को दुरदाँगढ़ लेने के लिये आगे भेजा, जो उस मौज्ञा से दो कोस पर था। उस गढ़ को सेना ने इसके भय से उसे खोली कर दिया और अपनी जान बचा लेने को रानीमत समझा। इस दुर्ग का नाम इसके नाम पर सादिकगढ़ रखा गया। खतावन से एक सेना बख्शी उल्मुल्क बहरःमन्द खाँ के अधीन नन्दगिर, चन्दन और मंडन लेने के लिये भेजी गई थोड़े ही समय में तीनों दुर्ग के सैनिक संधि कर या भागकर चले गए पहिले का नाम गीरु, दूसरे का मिफ्ताह और तीसरे का मफतूह रखा गया ।