पूर्व की ओर | Purv Ki Oar के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : पूर्व की ओर है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Vrindavanlal Verma | Vrindavanlal Verma की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Vrindavanlal Verma | इस पुस्तक का कुल साइज 58 MB है | पुस्तक में कुल 184 पृष्ठ हैं |नीचे पूर्व की ओर का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पूर्व की ओर पुस्तक की श्रेणियां हैं : history
Name of the Book is : Purv Ki Oar | This Book is written by Vrindavanlal Verma | To Read and Download More Books written by Vrindavanlal Verma in Hindi, Please Click : Vrindavanlal Verma | The size of this book is 58 MB | This Book has 184 Pages | The Download link of the book "Purv Ki Oar" is given above, you can downlaod Purv Ki Oar from the above link for free | Purv Ki Oar is posted under following categories history |
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वारुण और चम्पा का एक ऐतिहासिक गाथा है कि भारत से एक राजकुमार अनेक साथी लेकर महायान से पहुँचा । जहाँ पहुँचा (वहाँ एक राजकुमारी राज्य करती थी। अपने देश की प्रथा के अनुसार राजकुमारी निपट नङ्गी रहती थी और उसके सब प्रजाजन भी। छोटे छोटे से यानी में सेना लेकर राजकुमार से युद्ध करने के लिये श्राई युद्ध में हार गई राजकुमार ने उसको ग्रहण किया और उसको तथा उसकी प्रजा को वस्त्रों का पदिनना सिखलाया यह कथा वारुण या चम्पा की न होकर नागद्वीप ( नीकोबार ) की सी जान पड़ती है। क्योंकि अण्डमान और नीकोबार के आदिवासी अट्टारहवीं उन्नीसवीं शताब्दि तक नंगे रहते थे और धातुओं के उपयोग से अपरिचित थे ।