१७०७ से १७६१ ई. के मध्य मुगलों के अधीन पूर्वी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र | 1707 To 1761 AD ke Madhy Mugalon Ke Adhin Purvi Uttar Pradesh Ka Kshetra

१७०७ से १७६१ ई. के मध्य मुगलों के अधीन पूर्वी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र | 1707 To 1761 AD ke Madhy Mugalon Ke Adhin Purvi Uttar Pradesh Ka Kshetra

१७०७ से १७६१ ई. के मध्य मुगलों के अधीन पूर्वी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र | 1707 To 1761 AD ke Madhy Mugalon Ke Adhin Purvi Uttar Pradesh Ka Kshetra के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : १७०७ से १७६१ ई. के मध्य मुगलों के अधीन पूर्वी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajesh Singh | Rajesh Singh की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 32.9 MB है | पुस्तक में कुल 382 पृष्ठ हैं |नीचे १७०७ से १७६१ ई. के मध्य मुगलों के अधीन पूर्वी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | १७०७ से १७६१ ई. के मध्य मुगलों के अधीन पूर्वी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : 1707 To 1761 AD ke Madhy Mugalon Ke Adhin Purvi Uttar Pradesh Ka Kshetra | This Book is written by Rajesh Singh | To Read and Download More Books written by Rajesh Singh in Hindi, Please Click : | The size of this book is 32.9 MB | This Book has 382 Pages | The Download link of the book "1707 To 1761 AD ke Madhy Mugalon Ke Adhin Purvi Uttar Pradesh Ka Kshetra" is given above, you can downlaod 1707 To 1761 AD ke Madhy Mugalon Ke Adhin Purvi Uttar Pradesh Ka Kshetra from the above link for free | 1707 To 1761 AD ke Madhy Mugalon Ke Adhin Purvi Uttar Pradesh Ka Kshetra is posted under following categories history |


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पुस्तक का साइज : 32.9 MB
कुल पृष्ठ : 382

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पहले जोनपुर सूबा दिल्ली के सुल्तानों के अधीन था। ब सुल्तान महमूद बिन सुलतान मुहम्मद बिन सुल्तान फीरोजशाह दिल्ली का सम्राट बना तो उसने मलिक सरवर नामक एवं नंपुसक को, जिसको उसके पूर्ववर्ती सुलतान ने रब्वाक्ये जहा की उपाधि से विभूमि क्यिा था को सुल्तान की उपाधि प्रदान की ओर जोनपुर का शासक उसे बनाया उसके देहान्त के बाद उसका दत्तक पुत्र मुबारक करन फून राज्य के सरदारों की सहायता से गद्दी पर बैठा तथा अपने नाम का खुत्बा और सिक्का जारी किया ।

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