सेवासदन | Sevasadan के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : सेवासदन है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Munshi Premchand | Munshi Premchand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Munshi Premchand | इस पुस्तक का कुल साइज 11.4 MB है | पुस्तक में कुल 300 पृष्ठ हैं |नीचे सेवासदन का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | सेवासदन पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Sevasadan | This Book is written by Munshi Premchand | To Read and Download More Books written by Munshi Premchand in Hindi, Please Click : Munshi Premchand | The size of this book is 11.4 MB | This Book has 300 Pages | The Download link of the book "Sevasadan" is given above, you can downlaod Sevasadan from the above link for free | Sevasadan is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
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पश्चात्ताप के कड़वे फल कभी-न-कभी सभी को चखने पड़ते है, लेकिन और लोग बुराइयों पर पछताते है, दारोगा कृष्णचन्द्र अपनी भलाइयों पर पछता रहे थे। उन्हें थानेदारी करते हुए पचीस वर्ष हो गए; लेकिन उन्होंने अपनी नीयत को कभी बिगड़ने न दिया था। यौवनकाल में भी, जब चित्त भोग-विलास के लिए व्याकुल रहता है। उन्होंने निःस्पृहभाव से अपना कर्तव्य-पालन किया था। लेकिन इतने दिनों के बाद आज वह अपनी सरलता और विवेक पर हाथ मल रहे। थे । उनकी पत्नी गगाजली सती-साध्वी स्त्री थी। उसने सदैव अपने पति को कुमार्ग से बचाया था। पर इस समय वह भी चिन्ता में डूबी हुई थी ।