श्री सुबोधिनी ग्रंथमाला | Shri Subodhini Granthmala

श्री सुबोधिनी ग्रंथमाला | Shri Subodhini Granthmala

श्री सुबोधिनी ग्रंथमाला | Shri Subodhini Granthmala के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : श्री सुबोधिनी ग्रंथमाला है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Vallbha Charya | Shri Vallbha Charya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 125.4 MB है | पुस्तक में कुल 455 पृष्ठ हैं |नीचे श्री सुबोधिनी ग्रंथमाला का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री सुबोधिनी ग्रंथमाला पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm

Name of the Book is : Shri Subodhini Granthmala | This Book is written by Shri Vallbha Charya | To Read and Download More Books written by Shri Vallbha Charya in Hindi, Please Click : | The size of this book is 125.4 MB | This Book has 455 Pages | The Download link of the book " Shri Subodhini Granthmala " is given above, you can downlaod Shri Subodhini Granthmala from the above link for free | Shri Subodhini Granthmala is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |

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पुस्तक का साइज : 125.4 MB
कुल पृष्ठ : 455

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श्रीमद्भागवत महापुराण के बारह स्कन्ध हैं जिनमें भगवान के १२ अंगों का निरूपण है. इससे श्रीमद्भागवत साक्षात भगवत्स्वरूप है। इसीलिए श्रीमद्वल्लभाचार्य चरण ने स्वरचित तत्वार्थ दीप निबन्ध के भागवतार्थ प्रकरण में प्रज्ञा की है कि “इति द्वादश स्कन्धं पुराणं हरिरेव सः" । दशम स्कन्ध भगवत्स्वरूप भागवत का हृदय है जिसमें वणित लीलाओं द्वारा भगवान् ने भक्तों का निरोध सित किया है अर्थात उनको संसार-प्रपञ्च विस्मृति करा के अपने स्वरूप में शासक्ति कराई
है। हृदय में जिस प्रकार पत्र प्राण निवास करते हैं उसी प्रकार रासलीला के पांच अध्याय समस्त | भागवत के पक्ष प्रणवत् हैं। उस ही रास पंचाध्यायी का समावेश तामस-फल ( उप )-प्रकरण प्रस्तुत ग्रंथ में है।

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