विष्णुधर्मोत्तर पुराण में प्रतिबिम्बित एवं संस्कृति | Vishnudharmottar Puran Mein Pratibimbit Evam Sanskrti

विष्णुधर्मोत्तर पुराण में प्रतिबिम्बित एवं संस्कृति | Vishnudharmottar Puran Mein Pratibimbit Evam Sanskrti

विष्णुधर्मोत्तर पुराण में प्रतिबिम्बित एवं संस्कृति | Vishnudharmottar Puran Mein Pratibimbit Evam Sanskrti के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : विष्णुधर्मोत्तर पुराण में प्रतिबिम्बित एवं संस्कृति है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Alka Tiwari | Alka Tiwari की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 17.1 MB है | पुस्तक में कुल 260 पृष्ठ हैं |नीचे विष्णुधर्मोत्तर पुराण में प्रतिबिम्बित एवं संस्कृति का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | विष्णुधर्मोत्तर पुराण में प्रतिबिम्बित एवं संस्कृति पुस्तक की श्रेणियां हैं : society

Name of the Book is : Vishnudharmottar Puran Mein Pratibimbit Evam Sanskrti | This Book is written by Alka Tiwari | To Read and Download More Books written by Alka Tiwari in Hindi, Please Click : | The size of this book is 17.1 MB | This Book has 260 Pages | The Download link of the book "Vishnudharmottar Puran Mein Pratibimbit Evam Sanskrti " is given above, you can downlaod Vishnudharmottar Puran Mein Pratibimbit Evam Sanskrti from the above link for free | Vishnudharmottar Puran Mein Pratibimbit Evam Sanskrti is posted under following categories society |

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पुस्तक का साइज : 17.1 MB
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पुराण प्राचीन भारतीय साहित्यिक परम्परा के महत्वपूर्ण अंग हैं, जिसका प्रारम्भ वेदों से होता है तथा यह ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद से होते हुये पुराण तक पहुँचता है । वस्तुतः पुराण साहित्य भारतीय साहित्य के अनोखे अंग हैं, जिसके समतुल्य ग्रन्थ अन्यत्र प्राप्त नहीं हैं । यद्यपि यूनान और इरान में इलियड और शाहनामा आदि ग्रन्थ पुराण के समतुल्य माने अवश्य गये हैं, परन्तु वे वीरों के आख्यान मात्र हैं जबकि भारत के सन्दर्भ में प्राचीन संस्कृति के कलेवर निर्माण हेतु पुराण अनिवार्य अंग हैं। पुराण मूलतः संकलित ग्रन्थ हैं अतः इनके संकलनकर्ताओं को इनकी संरचना हेतु विशद, पूर्व पौराणिक तथा वैदिक साहित्य से भिन्न शैली अपनाना पड़ा था ।

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