संत-वाणी | Sant-Vani के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : संत-वाणी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Kaka Kalelkar | Acharya Kaka Kalelkar की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Acharya Kaka Kalelkar | इस पुस्तक का कुल साइज 7 MB है | पुस्तक में कुल 190 पृष्ठ हैं |नीचे संत-वाणी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | संत-वाणी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Sant-Vani | This Book is written by Acharya Kaka Kalelkar | To Read and Download More Books written by Acharya Kaka Kalelkar in Hindi, Please Click : Acharya Kaka Kalelkar | The size of this book is 7 MB | This Book has 190 Pages | The Download link of the book "Sant-Vani" is given above, you can downlaod Sant-Vani from the above link for free | Sant-Vani is posted under following categories Poetry |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
जब देश में धर्म-अधर्म के लड़ाई-झगड़े बढ़ गये, तब इन सन्तों ने अनेक रूप से अवतार ले-लेकर धर्म का हार्द ढूंढ निकाला और लोगों को दिया सन्तों में सबको सम्हालने की समन्वयकारी वृत्ति थी परस्पर स्वार्थ का मेल जमाने के लिए धूतों का किया हुआ बह समझौता नहीं था । सन्त में और कोई श्रेष्ठता हो या न हो उसका प्रथम लक्षण उसकी निस्पृहता है। जो निस्पृह है वही निर्भय भी है। इसीलिए इन सन्तों ने धर्माग्रही और धर्माभिमानी कर्मकाण्डी लोगों पर कोड़े लगाते ज़रा भी संकोच नहीं किया।