विश्व साहित्य की रूपरेखा | Vishv Sahitya Ki Roop Rekha

विश्व साहित्य की रूपरेखा | Vishv Sahitya Ki Roop Rekha

विश्व साहित्य की रूपरेखा | Vishv Sahitya Ki Roop Rekha के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : विश्व साहित्य की रूपरेखा है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhagwatsharan Upadhyay | Bhagwatsharan Upadhyay की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 54MB है | पुस्तक में कुल 545 पृष्ठ हैं |नीचे विश्व साहित्य की रूपरेखा का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | विश्व साहित्य की रूपरेखा पुस्तक की श्रेणियां हैं : history

Name of the Book is : Vishv Sahitya Ki Roop Rekha | This Book is written by Bhagwatsharan Upadhyay | To Read and Download More Books written by Bhagwatsharan Upadhyay in Hindi, Please Click : | The size of this book is 54MB | This Book has 545 Pages | The Download link of the book " Vishv Sahitya Ki Roop Rekha " is given above, you can downlaod Vishv Sahitya Ki Roop Rekha from the above link for free | Vishv Sahitya Ki Roop Rekha is posted under following categories history |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 54MB
कुल पृष्ठ : 545

यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

प्रस्तुत ग्रंथ की आवश्यकता उसका लेखन प्रारंभ करने से बहुत पहले प्रतीत हुई थी। हिंदी का लेखक प्रायः ससार के सारे साहित्यो के लेखकों से कम पढ़ा-लिखा है। यह दर्द की बात है और मै यह कहते हुए अपने को भी उसी वर्ग में गिन रहा हूँ । लगा कि इस प्रकार का साहित्य प्रस्तुत
कर दिया जाए जिससे दूसरे साहित्यो का ज्ञान हमारे सक्रिय लेखकों को | हो और वे जानें कि हमे और बहुत जानना है और कि हमारे समानधर्मी विदेशी साहित्यकारों ने किन-किन परिस्थितियो मे कैसी-कैसी कृतियों का सृजन किया है। इसी उद्देश्य को सामने रसक़र प्रायः छः महीने की दिनरात की मेहनत से इसे प्रस्तुत कर सका हैं । ग्रन्थ के सम्बन्ध में किसी प्रकार की मौलिकता का दावा स्वाभाविक ही नहीं करता। मेहनत का बाबा जरूर करता हूं क्योकि बड़ी-बडी पुस्तको को छान-निचोडकर आखिर ग्रन्थ के विविध साहित्य के इतिहास प्रस्तुत हुए हैं। हां, उस छान-निचोड़ की दिशा में यदि कुछ वैभव बन पडा हो तो, पडितो और लेखकों की तृप्ति से, सुख पाऊंगा। आशा करता हूं कि लेखक अन्य को पढ़ेंगे और विविध साहित्यो से बल प्राप्त करेंगे। इसी उद्देश्य को सामने रखकर पुस्तक लिखी गई है, इसी उद्देश्य से यह लेखको को ही समर्पित भी हुई है।

Share this page:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *