जगद्गुरु शंकराचार्य | Jagadguru Shankracharya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जगद्गुरु शंकराचार्य है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Shri Ramsharma Acharya | Pt. Shri Ramsharma Acharya की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Pt. Shri Ramsharma Acharya | इस पुस्तक का कुल साइज 1.5 MB है | पुस्तक में कुल 39 पृष्ठ हैं |नीचे जगद्गुरु शंकराचार्य का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जगद्गुरु शंकराचार्य पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Jagadguru Shankracharya | This Book is written by Pt. Shri Ramsharma Acharya | To Read and Download More Books written by Pt. Shri Ramsharma Acharya in Hindi, Please Click : Pt. Shri Ramsharma Acharya | The size of this book is 1.5 MB | This Book has 39 Pages | The Download link of the book "Jagadguru Shankracharya" is given above, you can downlaod Jagadguru Shankracharya from the above link for free | Jagadguru Shankracharya is posted under following categories dharm |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
शिष्यों की श्रद्धा, लगन, तत्परता, अनुशासन और सेवा भावना | के अनुरूप ही गुरुजनों का स्नेह-आशीर्वाद मिला करता है। शंकराचार्य ने शिष्य की आध्यात्मिक परंपरा को पूर्ण भावना के साथ निभाया, उसके फलस्वरूप ही गोविंद स्वामी ने भी अपने पास जो कुछ भी तप, ज्ञान और साधना की संचित पूँजी थी, उसे लोक कल्याणार्थ उन पर उड़ेल दिया। उन्होंने शंकराचार्य को अद्वैतवाद का गंभीर अध्ययन कराया। वेदांग के कुछ अंश बाद में उन्होंने गुरुदेव की आज्ञा से काशी में जाकर पढे। इस तरह उन्होंने सर्वप्रथम अपने आपको ज्ञान और तप की शक्ति से निष्णात बना लिया। इस साधना ने ही शंकराचार्य को सामान्य-जन से जगद्गुरु | की गौरवशाली भूमिका में पहुँचा दिया।