संयम – प्रकाश | Sanyam – Prakash

संयम – प्रकाश | Sanyam – Prakash

संयम – प्रकाश | Sanyam – Prakash के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : संयम – प्रकाश है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Bhanvar Lal Jain | Bhanvar Lal Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 5 MB है | पुस्तक में कुल 212 पृष्ठ हैं |नीचे संयम – प्रकाश का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | संयम – प्रकाश पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm

Name of the Book is : Sanyam – Prakash | This Book is written by Bhanvar Lal Jain | To Read and Download More Books written by Bhanvar Lal Jain in Hindi, Please Click : | The size of this book is 5 MB | This Book has 212 Pages | The Download link of the book "Sanyam – Prakash " is given above, you can downlaod Sanyam – Prakash from the above link for free | Sanyam – Prakash is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |


पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 5 MB
कुल पृष्ठ : 212

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पशि फारफ सत्य पथन में गन धारण पाना बेप्त है और अन्य समय सत्य हित गित सौर । गा मोजमा चाहिये । असार में भागों से ही परीक्षा होती है। अतः सत्यारामत धारियों को शप्प बोलने में शेष ध्यान रखना चाहिये। पति पाणी योजना प्राचे नो योना चाहिये अन्यथा मौन रखना चाहिये । समन्तभद्र स्वामी ने भगवान् गहाणीर स्वामी के वचनों से ही परीक्षा करके हो पा शिद्ध किया है। संसार में वचन प्रमाण से ही पुरुष प्रमाणित होता है। जिसने अपने वचन एवं शव्यो पर ध्यान नहीं दिया, प पुरुष न तो प्रामाणिक * होता है और न शत्कार ही प्राप्त कर सकता है। शन भी चिन्तामणि रन के समान है। दिन, मित और मिष्ट शब्द बोलने से शत्रु भी प होन्ड फर मित्र हो जा है। फठोर शम मा बोलिए। गिध राज्य से कठोर पुरुष भी अपने अनुकूल हो जाता है। अतः प्रत्येक मनुष्य को सत्य और मर्यादित शब्स पोल पर आरमन्याय तथा पर कन्या करना चाहिये।

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