जिनवाणी | Jinvani

जिनवाणी | Jinvani

जिनवाणी | Jinvani के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : जिनवाणी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Dr. Narendra Bhanavat | Dr. Narendra Bhanavat की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 22.4 MB है | पुस्तक में कुल 424 पृष्ठ हैं |नीचे जिनवाणी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जिनवाणी पुस्तक की श्रेणियां हैं : Spirituality -Adhyatm

Name of the Book is : Jinvani | This Book is written by Dr. Narendra Bhanavat | To Read and Download More Books written by Dr. Narendra Bhanavat in Hindi, Please Click : | The size of this book is 22.4 MB | This Book has 424 Pages | The Download link of the book "Jinvani" is given above, you can downlaod Jinvani from the above link for free | Jinvani is posted under following categories Spirituality -Adhyatm |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 22.4 MB
कुल पृष्ठ : 424

Search On Amazon यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |

जिनवाणी के प्रकाशन का प्रारम्भ जिस समय हुआ वह समय द्वितीय । विश्व युद्ध का था । सारी मानव ज़ाति महायुद्ध की हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों से त्रस्त थी । कुछ राष्ट्र नेताओं की साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षा ने समूची मानव जाति के समक्ष उसके भविष्य को लेकर एक प्रश्न चिह्न खडा कर दिया था । बन्दूको और तोपों की आवाजों में अहिंसा और प्रेम जैसे जीवनमुल्य मानों ही खो गये । ऐसे ही कठिन समय में प्राचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा. ने विश्व को पुनः शांति और अहिंसा का सदेश देने का संकल्प लिया । इसी संकल्प से उन्होंने 'जिनवाणी' के प्रकाशने की प्रेरणा दी। उन्होने ‘जिनवाणी' के माध्यम से जैन धर्म के मूलभूत सिद्धान्तो-अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य आदि का संदेश दिया ।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.