हंस-मयूर | Hans-Mayoor के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : हंस-मयूर है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Munshi Premchand | Munshi Premchand की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Munshi Premchand | इस पुस्तक का कुल साइज 10.8 MB है | पुस्तक में कुल 168 पृष्ठ हैं |नीचे हंस-मयूर का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | हंस-मयूर पुस्तक की श्रेणियां हैं : Comic
Name of the Book is : Hans-Mayoor | This Book is written by Munshi Premchand | To Read and Download More Books written by Munshi Premchand in Hindi, Please Click : Munshi Premchand | The size of this book is 10.8 MB | This Book has 168 Pages | The Download link of the book "Hans-Mayoor " is given above, you can downlaod Hans-Mayoor from the above link for free | Hans-Mayoor is posted under following categories Comic |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
कालकाचार्य-मैं बतलाता हूँ भद्र ! तेरह कोस लम्बी और नौ कोस चौड़ी उजैन नगरी में कापालिकों के जीव-बलिदान और बहा के राजा गर्दभिल्ला के पिशाचपन ने उस पावन नगरी, विद्या के पीठ को पाप प्लानि कर रखा है । विदिशा के नाग सर्यों की पूजा करते है । ब्राह्मण द्वारा यज्ञों में पशुमेध कराते हैं; नलपूर और भद्रावती में उत्तम भद्रों के गणों का शासन होते हुये भी कच्छप डाके डालते है और नर-नलि में २में लेते है, कालजर में ब्राह्मणों ने बहुत सिर उठा रखा है