टॉम काका की कुटिया | Tom Kaka Ki Kutiya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : टॉम काका की कुटिया है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Unknown | Unknown की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Unknown | इस पुस्तक का कुल साइज 4 MB है | पुस्तक में कुल 318 पृष्ठ हैं |नीचे टॉम काका की कुटिया का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | टॉम काका की कुटिया पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Tom Kaka Ki Kutiya | This Book is written by Unknown | To Read and Download More Books written by Unknown in Hindi, Please Click : Unknown | The size of this book is 4 MB | This Book has 318 Pages | The Download link of the book "Tom Kaka Ki Kutiya" is given above, you can downlaod Tom Kaka Ki Kutiya from the above link for free | Tom Kaka Ki Kutiya is posted under following categories Stories, Novels & Plays |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
शेल्वी साहब को अपने चारों ओर अंधकार-ही-अंधकार दिखाई दे रहा है। वे सोच रहे हैं कि इलाइजा के पुत्र की बिक्री के विषय में स्त्री से क्या कहें, कैसे कहें। शेल्वी साहब को अपनी मेम का जितना इर है, इलाइजा के दुःखित होने की उतनी फिक्र नहीं। वे केवल भय से व्याकुल हैं। उनकी समझ में नहीं आता कि वे क्या करें। मेम साहब जानती थी कि शेल्वी साहब दयालु हैं। इसी से उन्होंने इलाइजा को सरलता से इस प्रकार धीरज बँधा दिया था। स्वप्न में भी नहीं सोची थी कि उसके स्वामी ऐसा करेंगे। और तो क्या, इलाइजा की बात का उसने जरा भी खयाल न किया। इसी से उसने अपने पति से इन बातों की चर्चा तक न की और उस दोपहर को वह किसी पड़ोसी के यहाँ मिलने चली गई।