कला और बूढ़ा चाँद | Kala Aur Budha Chand के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : कला और बूढ़ा चाँद है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Sumitranandan Pant | Shri Sumitranandan Pant की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Shri Sumitranandan Pant | इस पुस्तक का कुल साइज 3 MB है | पुस्तक में कुल 205 पृष्ठ हैं |नीचे कला और बूढ़ा चाँद का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | कला और बूढ़ा चाँद पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Kala Aur Budha Chand | This Book is written by Shri Sumitranandan Pant | To Read and Download More Books written by Shri Sumitranandan Pant in Hindi, Please Click : Shri Sumitranandan Pant | The size of this book is 3 MB | This Book has 205 Pages | The Download link of the book "Kala Aur Budha Chand" is given above, you can downlaod Kala Aur Budha Chand from the above link for free | Kala Aur Budha Chand is posted under following categories Poetry |
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मन ने बहुत काट-छंट की, कला शिल्प के हाथो से भाव बोध के स्पर्शो से सहस्त्रो नये वसंत संवारे! अभी असख्य शरदों को अपने अंग पावक में नहला कर रूप ग्रहण करना है! बुढा चाँद कला की गोरी बांहों में क्षण भर सोया है। यह अमृत कला है सोभा असि, वह बुढा प्रहरी प्रेम की ढाल ! हाथी दांत की स्वप्नों की मीनार सुलभ नहीं