जैन-न्याय | Jain Nyay के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : जैन-न्याय है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Kailash Chandra Shastri | Kailash Chandra Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Kailash Chandra Shastri | इस पुस्तक का कुल साइज 8.9 MB है | पुस्तक में कुल 388 पृष्ठ हैं |नीचे जैन-न्याय का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | जैन-न्याय पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm
Name of the Book is : Jain Nyay | This Book is written by Kailash Chandra Shastri | To Read and Download More Books written by Kailash Chandra Shastri in Hindi, Please Click : Kailash Chandra Shastri | The size of this book is 8.9 MB | This Book has 388 Pages | The Download link of the book "Jain Nyay" is given above, you can downlaod Jain Nyay from the above link for free | Jain Nyay is posted under following categories dharm |
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जैन न्यायकी दृष्टिसे यह महत्त्वपूर्ण है। आचार्य समन्तभद्रने तो केवल न्याय शब्दका प्रयोग करके उसे स्याद्वादके साथ संयुक्त किया था किन्तु सिद्धसेनने न्यायावतारकी रचना करके जैन दर्शनमें उसका अवतरण ही कर दिया। न्यायावतारमें प्रमाणको चर्चा शुरू करके अन्तमें परार्यानुमानकी ही विस्तारसे चर्चा की है और जैन दृष्टिसे पक्ष साध्य हेतु दृष्टान्त हेत्वाभास आदिके लक्षण दिये है।