गीतावली : गीता प्रेस की हिंदी पुस्तक मुफ्त डाउनलोड करें | Geetawali By Geeta Press Hindi Book Download For Free के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 21.76 MB है | पुस्तक में कुल 371 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, gita-press, hindu
Name of the Book is : | This Book is written by | To Read and Download More Books written by in Hindi, Please Click : | The size of this book is 21.76 MB | This Book has 371 Pages | The Download link of the book "" is given above, you can downlaod from the above link for free | is posted under following categories dharm, gita-press, hindu |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
[डरते पद-सूचना पृष्ठ-संख्या जब दोउ दसरथ-कुँवर बिलोके १२९ जब रघुबीर पयानो कीन्हों २७२ जबहिं रघुपति-सैँग सीय चली १५७ जबहिं सब नृपति निरास भए १२७ जबहि सिय-सुधि सब र४० जयमाल जानकी जलजकर १३५ जागिये कृपानिधान ७१ जानकी-बर सुंदर माई श्डद जानत हौ सबहीके मनकी २१७ जानी है संकर-हनुमान जाय माय पाँव परि रे७८ जेहिं जेहि मग सिय-राम-लघन १७७ जैसे राम ललित ७५ जैसे ललित लषन लाल लोने श्४६ जो पै हों मातु मते महं ह्वै हीं २०९ जो हीं प्रभु-आयसु लै चलतों २६४ जौ हों अब अनुसासन पावों ३१० झूलत राम पालने सोहैं प् ठढ़े हैं लषन कमलकर जोरे १५८ तात तोहूसों कहत ८ र५८ तात बिचारो थौं हीं चवों झावों नन्नननन्मननस २१७ ता दिन सुंगबेरपुर आए रश्ढ ताते हीं देत न दूषन तोहू २०९ तुम्हरे बिरह भई गति जौन २७१ तू दसकंठ भले कुल जायो ३०५ तू देखि देखि री पथिक १६२ पद-सूचना तैं मेरो मरम कछू तौलों बलि आपुही तौलों मातु आपु दीन-हित बिरद दूलह राम सीय दुलही री शेड दूसरों न देखतु - देखत अवधको आनंद देखत चित्रकूट-बन देखि जानकी जब जाइ देखि देखि री दोउ राजसुवन ११६ देखि द्वै पधिक गोरे-साँवरे १७२ देखि मुनि रावरे पद आज ८ देखु कोऊ परम सुंदर श्घ्३ देखु री सखि पथधिक श्७ढ देखु सखि आजु ३३३ देखे राम-पथधिक नाचत २३० देखो रघुपति-छबि ३५० देखो राघव-बदन 4 दोउ राजसुवन राजत ८ नाहिन भजिबे जोग बियो २९७ नीके के जानत राम हियो हीं २४२ नीके कै मैं न बिलोकन पाये १८१ नृप कर जोरिं कहो गुर पाहीं १५१ नूपति-कुँवर राजत मग जात श्घ्शू नेकु बिलोकि धौं रघुबरनि दद्० नेकु सुमुखि चित्त लाइ तो सी ह- -न्लनसस्टससरिरर श्श्श
धन्यवाद