मिट्टी का आदमी : लोरेन एइसेले | Mitti Ka Admi : Loren Eiseley के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मिट्टी का आदमी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Loren Eiseley | Loren Eiseley की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Loren Eiseley | इस पुस्तक का कुल साइज 1.6 MB है | पुस्तक में कुल 17 पृष्ठ हैं |नीचे मिट्टी का आदमी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मिट्टी का आदमी पुस्तक की श्रेणियां हैं : india, inspirational, Stories, Novels & Plays
Name of the Book is : Mitti Ka Admi | This Book is written by Loren Eiseley | To Read and Download More Books written by Loren Eiseley in Hindi, Please Click : Loren Eiseley | The size of this book is 1.6 MB | This Book has 17 Pages | The Download link of the book "Mitti Ka Admi" is given above, you can downlaod Mitti Ka Admi from the above link for free | Mitti Ka Admi is posted under following categories india, inspirational, Stories, Novels & Plays |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
जीतने के बाद थियेटर का आधा वकील को देना पड़ेगा?''
"नहीं...मुझमें आधा, मेरा आधा..चला गया। सूने में देखते हुए कुकर वरूथिनी ने कहा। | वरूथिनी की आंखें मुदती जा रही थीं। साग के डंठल की तरह उसका शरीर लटक गया। गोपालराव वहां से चला गया। | इधर वेंकटपति वरुथिनी का इंतजार कर-करके हैरान होता रहा। दस दिन बाद गोपालराय अपनी गाड़ी में वरूथिनी का शव लेकर वेंकटपति के घर पहुंचा। आकर उसने बताया कि जिस डाक्टर ने लाश की जांच की थी, उसने रिपोर्ट दी है कि ज्यादा पीने
से दिल पर असर हो गया था और दिल का दौरा पड़ | गया था।
“असल में इस सिनेमा हाल ने इसकी जान ले ली।'' वेंकटपति ने दुखी होकर कहा।
श्मशान में सबके साथ रामनाथ भी पहुंचा। असल में वह मरा नहीं था। बात यह हुई थी कि जिस कार में रामनाथ को हैदराबाद जाना था, उसमें वह किसी वजह से जा नहीं सका तो उसका साला रामकृष्णय्या
[email protected] mughe is email par story book bhegni hai