आत्मविकास के चार चरण हिंदी पुस्तक | Atmvikas Ke Char Charan Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.63 MB है | पुस्तक में कुल 18 पृष्ठ हैं |नीचे का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational, others
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पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
बीमारी का निर्धारण हो जाए कोई चैकिंग करके पता चला ले कि आपके भीतर टी० बी० की शिकायत है तभी तो आप उसका इलाज कराएँगे न ? अगर आपको मालूम ही नहीं है तो यही कहेंगे कि हमारा तो ऐसे ही शरीर ढीला हो जाता है कोई बीमारी नहीं है। इसलिए समीक्षा जो है नाड़ी परीक्षा की तरह है उसे अपने आप ही कीजिए--भूतकाल के संबंध में । पापों को ही क्राइम नहीं कहते । पाप उन्हें भी कहते हैं जो कि जीवन को ठीक तरीके से जीने का क्रम है उसका व्यतिक्रम भी पाप में आता है । क्राइम तो यह है चोरी डकैती अपहरण हत्या बगैरह । यह तो बुरे कर्म हैं ही मगर यह भी कम बुरा कर्म नहीं है कि आप आलस्य और प्रमाद में ही समय काट दें। आप अपने स्वभाव को गुस्सेबाज बनाकर रखें ईर्ष्या किया करें चिंतन और मनन को अस्त-व्यस्त बनाकर रखें । यह भी कोई ढंग है ? यह क्या है? ये भी गलतियाँ हैं । व्यक्तिगत जीवन में आपके गुण कर्म और स्वभाव संबंधी गलतियाँ क्या हुई और क्राइम-अपराध जुर्म द आत्मविकास के चार चरण करने के संबंध में क्या भूलें हुईं ? इन दोनों के बारे में एक बार विचार किया कीजिए यह विचार करना बहुत जरूरी है। इससे यह मालूम होता है कि हमारी गलतियाँ कहाँ हैं और हम कितनी चूक करते रहे हैं और चूक कर रहे हैं । आत्मनिरीक्षण द्वारा इन चूकों को सुधारने वाला अगला कदम आता है--आत्मपरिष्कार अर्थात आत्मनिरीक्षण के बाद में आत्मपरिष्कार का दूसरा नंबर आता है। सुधार कैसे करें ? सुधार में क्या बात करनी होती है ? सुधार में रोकथाम करनी होती है मसलन आप शराब पीते हैं तो शराब पीना बंद कीजिए । आप बीड़ी पीते हैं सिगरेट पीते हैं अपना कलेजा जलाते हैं तो अब विचार कीजिए कि अब हम कलेजा नहीं जलाएँगे। आत्मपरिशोधन इसी का नाम है कि जो गलतियाँ आपसे हुई हैं उनके विरुद्ध आप रुकावट खड़ी कर दें रोकथाम के लिए आमादा हो जाएँ और संकल्प लें कि जो भूलें हमसे हुई हैं अब न हों । इसके लिए स्कीम बनाएँ । आत्मविकास के चार चरण ट
बहोत ही बदियाँ किताब हे,
मै सभी से निवेदन करता हू की,
आप भी एक बार इसे जरुर पढ़े।
धन्यावाद.