मिस मूर की सोच ही कुछ अलग थी : जेन पिन्कबरी हिंदी पुस्तक | Miss Moore Thought Otherwise Hindi Book के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : मिस मूर की सोच ही कुछ अलग थी है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.61 MB है | पुस्तक में कुल 42 पृष्ठ हैं |नीचे मिस मूर की सोच ही कुछ अलग थी का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | मिस मूर की सोच ही कुछ अलग थी पुस्तक की श्रेणियां हैं : children, history, inspirational, Stories, Novels & Plays, women
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1870 में बहुत से लोगों का यही मानना था कि लड़कियों को घर के अनदर ही रहना चाहिए - और उनहें सिलाई-कढ़ाई जैसे घरेलू हुनर ही सीखने चाहिए. पर एनी की सोच ही कुछ अलग थी. एनी बड़ी दबंग थी. एक पतली सी सलेज पर वो कबरिसतान से मेन सटरीट तक फिसलते हुए जाती थी. और पिता की घोड़ा गाड़ी पर सवारी करते वकत वो घोड़े की पदचाल के साथ-साथ कूदती रहती थी. पेड़ों के झुरमुटों से एनी को दूर के सफ़ेद पहाड़ दिखाई देते थे. वो पहाड़ों के उस पार बसी दुनिया की कलपना करती. भविषय मैं वो कया करेगी वो उसके बारे में भी सोचती थी.