साइकिलों पर सवार महिलाएं : अरविन्द गुप्ता | Cycle Par Sawar Mahilaye : Arvind Gupta के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : साइकिलों पर सवार महिलाएं है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Arvind Gupta | Arvind Gupta की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Arvind Gupta | इस पुस्तक का कुल साइज 6.4 MB है | पुस्तक में कुल 40 पृष्ठ हैं |नीचे साइकिलों पर सवार महिलाएं का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | साइकिलों पर सवार महिलाएं पुस्तक की श्रेणियां हैं : inspirational, women
Name of the Book is : Cycle Par Sawar Mahilaye | This Book is written by Arvind Gupta | To Read and Download More Books written by Arvind Gupta in Hindi, Please Click : Arvind Gupta | The size of this book is 6.4 MB | This Book has 40 Pages | The Download link of the book "Cycle Par Sawar Mahilaye" is given above, you can downlaod Cycle Par Sawar Mahilaye from the above link for free | Cycle Par Sawar Mahilaye is posted under following categories inspirational, women |
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आजादी के बहुत साल बाद भी भारत में साक्षरता का स्तर बहुत कम था।
198() में सरकार ने कई स्वयंसेवी दुनिया में निरक्षरों की सबसे ज्यादा संख्या
संस्थाओं और लोकविज्ञान संगठनों भारत में थी। ऊपर से संचालित सरकारी
की सहायता से साक्षरता मिशन में प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम केवल कागजों
प्राण फेंकने की कोशिश की थी। पर ही दौड़ते थे।
इससे प्रेरित होकर
| इन संगठनों के कार्यकर्ता साक्षरता के लिए बड़ी भारत ज्ञान विज्ञान समिति
संख्या में लोगों को संगठित कर पाए। (बीजीवीएस) ने पुदुकोट्यय में संपूर्ण साक्षरता अभियान शुरू किया। 1989 में केरल शास्त्र साहित्य परिषद की
जानेमाने शिक्षाविद् प्रों वी वी अथरेया मदद से केरल का एर्नाक्युलम जिला भारत बीजीवीएस के राज्य स्तरीय समन्वयक बने।
| में पहला सम्पूर्ण साक्षर जिला बना। उन्होंने स्वंयसेवी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों ब्राजील के शिक्षाविद् पॉलो फ्रेंरे और प्रिंसपलों को संगठित किया। ने 3() दिनों में भूमिहीन किसानों और
अक्षरा केरलम
उन्होंने रोटरी, लायन्स खेतिहर मजदूरों को लिखना-पढ़ना सिखाया था।
से केरल 'भारत का पहला
धार्मिक संगठनों, नवसाक्षरों की किताबें फ़ेरे के क्रॉतिकारी
संपूर्ण साक्षर राज्य बना।
बैंक अफसरों को तरीके से लिखी गयीं।
भी इस मिशन में 'भ' अक्षर ‘भालू नहीं बल्कि 'भूख' बना।
जोड़ा। 'स' अक्षर 'संय' नहीं बल्कि
शीला रानी ने साक्षरता 'सूद बना।।
अभियान में साइकिल क्योंकि नई किताबें गरीबों के जीवन को प्रतिविम्बित
सवारीं भी जोड़ी। करती थीं इसलिए वे नवसाक्षरों की कल्पना को
नई उड़ान दे पायीं।
राष्ट्रीय साक्षरता अभियान
बीजीवीएस को कलेक्टर शीला रानी | में एक अच्छा साथी मिला। एक संवेदनशील अफसर के नाते उन्होंने इस चुनौनी के लिए सरकारी मशीनरी को दुरुस्त किया।
उनका नारा था:
एक लड़के को पढ़ाने से केवल एक पुरुष सौखता है। पर एक लड़की को पढ़ाने से पूरी पीढ़ी शिक्षित होती है।