लाल बहादुर शास्त्री : राष्ट्रबंधु | Lal bahadur Shastri : Rashtra Bandhu के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : लाल बहादुर शास्त्री है | इस पुस्तक के लेखक हैं : | की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 2.9 MB है | पुस्तक में कुल 29 पृष्ठ हैं |नीचे लाल बहादुर शास्त्री का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | लाल बहादुर शास्त्री पुस्तक की श्रेणियां हैं : Biography, history, india
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जेल में रहते हुए भी शास्त्री जी चिंतन और अध्ययन के लिए अवसर निकाल लेते थे। गाँधी जी के कहे अनुसार वे जेल के नियमों का पालन करते थे, फिर भी वे अपने लेखन के लिए समय निकाल लेते थे। जेल प्रवास में ही उन्होंने मदाम क्यूरी के बारे में पढ़ा और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से अत्यधिक प्रभावित होकर मदाम क्यूरी की जीवनी का हिंदी में अनुवाद किया। | शास्त्री जी को जेल में खबर मिली कि उनकी लाडली बेटी सख्त बीमार है। सह जेल-वासियों ने उनको घर जाने की सलाह दी। जेल के अधिकारी थोड़े उदार थे, इसलिए आवेदन देने पर पंद्रह दिन की परोल पर छुट्टी मिल गई। | पर दुर्भाग्य यह रहा कि शास्त्री जी जिस दिन घर गए उसी दिन उनकी दुलारी विटिया सिधार गई। शास्त्री जी ने इसे दार्शनिक भाव से लिया और इसे विधि का विधान माना, लेकिन अधिक लोग यह कहने वाले थे कि रोग के शुरू होते ही उचित चिकित्सा नहीं की गई। शास्त्री जी को लगा कि जेल के अंदर ही उनको चेन मिल पाएगा।