विवेक मार्टरड : पं. कमल कुमार जैन | Vivek Martard : Pandit Kamal Kumar Jain

विवेक मार्टरड : पं. कमल कुमार जैन | Vivek Martard : Pandit Kamal Kumar Jain

विवेक मार्टरड : पं. कमल कुमार जैन | Vivek Martard : Pandit Kamal Kumar Jain के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : विवेक मार्टरड है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Pt. Kamal Kumar Jain | Pt. Kamal Kumar Jain की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3,8MB है | पुस्तक में कुल 318 पृष्ठ हैं |नीचे विवेक मार्टरड का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | विवेक मार्टरड पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm

Name of the Book is : Vivek Martard | This Book is written by Pt. Kamal Kumar Jain | To Read and Download More Books written by Pt. Kamal Kumar Jain in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3,8MB | This Book has 318 Pages | The Download link of the book "Vivek Martard" is given above, you can downlaod Vivek Martard from the above link for free | Vivek Martard is posted under following categories dharm |

पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 3,8MB
कुल पृष्ठ : 318

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जिसका नतीजा बहुत ही पुरा होता है। मावाचार से मनुष्य का जीवन ही बिगड़ जाता है। मायाचारी लोगों को संसार में बडी बुरी हालत होती हैं । मायाचारियों का विश्वास बिलकुल ही जाता रहता है ऐसे लोग भयंकर शत्रु के समान समझे जाने लगते हैं। मायाचार एक ऐसी तलवार है जिसके चलानेपर दोनों का जीवन खतरे में पड़ जाता है अतः ऐसी माया कषाय का त्यागना ही लाभदायक है।
माया कषाय के उदय में आने पर यह जीव मन में जो कुछ भी विचार करता है उसे वचन से वैसा नहीं करता और वचन से जो कुछ भी कहता है शरीर से वैसा नहीं करता नतीजा यह होता है कि लोग ऐसे धूर्ती के चक्का में जब कभी आ जाते हैं तब दुःख ही उठाते हैं क्योकि मायाचारी की मन वचन और काय को प्रवृत्तियों को मायाचा ही जान पकने ? सरन वार्न नहों । नीतिकारों ने

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