श्री जैन सिध्दांत प्रवेशिका : मूलचंद कसनदास कपाडिया | Shri Jaine Sidhant Prewesika : Mulchand Kasandas Kapadiya के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : श्री जैन सिध्दांत प्रवेशिका है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Mulchand Kasandas Kapadiy | Mulchand Kasandas Kapadiy की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Mulchand Kasandas Kapadiy | इस पुस्तक का कुल साइज 3.4MB है | पुस्तक में कुल 282 पृष्ठ हैं |नीचे श्री जैन सिध्दांत प्रवेशिका का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | श्री जैन सिध्दांत प्रवेशिका पुस्तक की श्रेणियां हैं : jain
Name of the Book is : Shri Jaine Sidhant Prewesika | This Book is written by Mulchand Kasandas Kapadiy | To Read and Download More Books written by Mulchand Kasandas Kapadiy in Hindi, Please Click : Mulchand Kasandas Kapadiy | The size of this book is 3.4MB | This Book has 282 Pages | The Download link of the book "Shri Jaine Sidhant Prewesika" is given above, you can downlaod Shri Jaine Sidhant Prewesika from the above link for free | Shri Jaine Sidhant Prewesika is posted under following categories jain |
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३९६ प्र. उत्कर्षण कोने कहे छे ? उ. कमनी स्थितिने वधी जवाने उत्कर्षण कहे छे.
३८६ प्र. अपकर्षण कोने कहे छे? उ. कर्मोनी स्थितिने घटी जवाने अपकर्षण कहे छे.
३८७ प्र. संक्रमण कोने कहे छ ? उ. कोइ पण कर्मना सजातीय एक भेदने वीजा भेदरुप थइ जवाने संक्रमण कहे छे.
३८४ प्र. समय प्रबद्ध कोने कहे छे ? उ. एक समयमा जेटला कर्मपरमाणु अने नोकर्म परमाणु बंधाय, ते सर्वेने समयबद्ध कहे छे.
३१९ म. गुणहानि कोने कहे छे? उ. गुणाकाररुप हीन हीन (ओछु औछु) द्रब्य जेमा जणाय, तेने गुणहानि कहे छे. जेमके-कोइ जीवे एक समयमा ६३०० परमाणुओना समु