आग और धुआँ | Aag Aur Dhua

आग और धुआँ : आचार्य चतुरसेन | Aag Aur Dhua : Acharya Chatursen

आग और धुआँ : आचार्य चतुरसेन | Aag Aur Dhua : Acharya Chatursen के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : आग और धुआँ है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Chatursen Shastri | Acharya Chatursen Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 11 MB है | पुस्तक में कुल 171 पृष्ठ हैं |नीचे आग और धुआँ का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आग और धुआँ पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Aag Aur Dhua | This Book is written by Acharya Chatursen Shastri | To Read and Download More Books written by Acharya Chatursen Shastri in Hindi, Please Click : | The size of this book is 11 MB | This Book has 171 Pages | The Download link of the book "Aag Aur Dhua" is given above, you can downlaod Aag Aur Dhua from the above link for free | Aag Aur Dhua is posted under following categories Stories, Novels & Plays |


पुस्तक के लेखक :
पुस्तक की श्रेणी :
पुस्तक का साइज : 11 MB
कुल पृष्ठ : 171

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एक इंगलैड में आक्सफोर्डशायर के अन्तर्गत चल नामक स्थान में सन् १७३२ ईस्वी की ६ दिसम्बर को एक ग्रामीण गिर्जाघर वाले पादरी के घर मैं एक ऐसे बालक ने जन्म लिया जिसने आगे चलकर भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का महत्वपूर्ण कार्य किया। इस बात का नाम वारेन हेस्टिना पड़ा। बालक के पिता पिनासटन यद्यपि पादरी थे, परन्तु उन्होंने हैस्टर वाटिन नामक एक कॉमनगीं कन्या से प्रेम-प्रसंग में विवाह कुर लिया। इससे उन्हें दो पुत्र प्राप्त हुए। दूसरे प्रसव के बाद बीमार होने पर उसकी मृत्यु हो गई । पिनासटन दोनों पुत्रों को अपने पिता की देख-रेख में छोड़कर वहाँ से चले गये और कुछ दिन बाद इसरा विवाह कर वेस्टइन्टीन में पादरी बनकर जीवनयापन करने लगे। उन दिनों लन्दन जर का सामाजिक जौबन पार्दारियों के प्रभाव से बहुत सुखी नहीं था। पार्टी वह सर्वोपरि बने हुए थे। उन दिनों चन्दन मगर की छः लाख जनसंख्या में पचास इजार वेश्याएँ तथा इतनी ही बानगी व्यभिचारिणी स्त्रियाँ थीं। प्रत्येक मुहल्ले के आयाम धनपतियों ने अपने-अपने जुबाबाने खोल रखें पे वहीं रात को जुआ खेला जाता, मद्य पी जाती और व्यभिचार के धुले वेश सेले जाते थे। जुञाघरों के बाहर तम्ती तटकी रहती थी, जिस पर लिखा होता था—साधारण मद का मूल्य एक पेंस, बेहोश करने वालों मद्य का मुस्प दो पेंस, साफ-सुथरी चटाई मुफ्त।
बालक वारेन अपने दादा के यहाँ पलकर एक छोटे स्कूल में पढ़ने लगा। बालक चंचल और कुशाग्रबुद्धि या, अन्ना पाठ हट याद कर लेता था। इडा पहले घनीसम्पन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति में, परन्तु कालचक्र ने

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1 Comment
  1. गुरप्रीत सिंह says

    आपका यह प्रयास पुस्तक प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है।
    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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