आँखों में | Aakhon Me के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आँखों में है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Harikrishan Premi | Harikrishan Premi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Harikrishan Premi | इस पुस्तक का कुल साइज 1.3 MB है | पुस्तक में कुल 102 पृष्ठ हैं |नीचे आँखों में का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आँखों में पुस्तक की श्रेणियां हैं : Poetry
Name of the Book is : Aakhon Me | This Book is written by Harikrishan Premi | To Read and Download More Books written by Harikrishan Premi in Hindi, Please Click : Harikrishan Premi | The size of this book is 1.3 MB | This Book has 102 Pages | The Download link of the book "Aakhon Me " is given above, you can downlaod Aakhon Me from the above link for free | Aakhon Me is posted under following categories Poetry |
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जिसके हृदय-द्वार पर मैं भिखारी के रूप में आया था, आज उसी को अपनी आँखो मे अर्घ देते लाज लगती है । जिसने मेरे हृदय को बासे फूलसा फेंक दिया, मेरी कोमलता को कुचल दिया, पर, पीड़ा की मधुर भीख दी, मेरी आँखो मे उसी की स्मृति, की अमरता है । जिसके प्रथम अनुभव में आकर्षण था, प्रथम दर्शन मे लूट, प्रथम मिलन मे चोरी और विरह मे मीठापन-मादकता, उसकी निष्ठुरता की ऑखो मे मेरी ऑखो में अर्पित है ।