आदर्श बालक | Adarsh Balak के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : आदर्श बालक है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Acharya Chatursen Shastri | Acharya Chatursen Shastri की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Acharya Chatursen Shastri | इस पुस्तक का कुल साइज 4.47 MB है | पुस्तक में कुल 142 पृष्ठ हैं |नीचे आदर्श बालक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | आदर्श बालक पुस्तक की श्रेणियां हैं : history, education, Knowledge
Name of the Book is : Adarsh Balak | This Book is written by Acharya Chatursen Shastri | To Read and Download More Books written by Acharya Chatursen Shastri in Hindi, Please Click : Acharya Chatursen Shastri | The size of this book is 4.47 MB | This Book has 142 Pages | The Download link of the book "Adarsh Balak" is given above, you can downlaod Adarsh Balak from the above link for free | Adarsh Balak is posted under following categories history, education, Knowledge |
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तेरहवीं शताब्दि बीत रही थी। निर्दयी और इन्द्रियलोलुप पठान अलाउद्दीन खिलजी भारत वा सम्राट था। उसने अपनी दुर्धर्षं सेना के बल पर राजपूताना को कुचल डाला था, और अव वह राजपूताने की बची-खुची आबरू को लूटने को दुलबल लेकर चित्तौर पर चढ़ आय था। चित्तौर पर दुभाग्य उदय हुआ था। इस बार उसका इरादा चित्तौर-विजय का न था प्रत्युत् चित्तौर की महारानी पद्मिनी कोहरण करने का था । चित्तौर की आन्तरिक ॐवस्था अच्छी न थी, राणी लक्षमणसिंह नाबालिग थे और उनके चचा भीमसिंह चित्तौर के कर्ताधर्ता थे, पद्मिनी भीमसिंह की पत्नी थी । वह पद्मराग मणि के समान सुन्दर और कान्तिवाली थी। उसके सौन्दर्य की तारीफ राजपूताने भर में फैली हुई थी और सौन्दर्य लोलुप अल्लाउद्दीन पुरी शक्ति से उस सौन्दर्य-कुसुम को लुटने चित्तौर पर चढ़ दौड़ा था। किला चारों ओर से घिरा हुआ था और किसी भी आदमी का किले से बाहर जाना या बाहर से भीतर आना सम्भव न था।