अज्ञातवास | Agyatwas

अज्ञातवास | Agyatwas

अज्ञातवास | Agyatwas

अज्ञातवास | Agyatwas के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अज्ञातवास है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Shri Lal Shukl | Shri Lal Shukl की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 3.8 है | पुस्तक में कुल 136 पृष्ठ हैं |नीचे अज्ञातवास का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अज्ञातवास पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays, education

Name of the Book is : Agyatwas | This Book is written by Shri Lal Shukl | To Read and Download More Books written by Shri Lal Shukl in Hindi, Please Click : | The size of this book is 3.8 | This Book has 136 Pages | The Download link of the book "Agyatwas" is given above, you can downlaod Agyatwas from the above link for free | Agyatwas is posted under following categories Stories, Novels & Plays, education |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 3.8
कुल पृष्ठ : 136

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इस उपन्यास में रजनीकांत गांव के होकर भी वहां की अतिरिकता ' से अपरिचित रहे । कच्ची झोंपड़ियां और पत्रके बंगले, तुलसी और क्रोदन । इन के अन्तर की तुच्छता में ही वे उलझे रहे । इनसे ऊपर उठकर जीवन के बृहत्तर परिवेश में वे अपने को नहीं पहुचान सके । ठीक इसके विपरीत श्रीमती गिरिजा शुक्ल के साथ हुआ। उन्होंने पहले कभी गांव न देखा था। शादी होने के बाद ही वे पहली बार एक गांव में आई । तब बरसात शुरू हो गई थी और ग्राम्यगीतों और सौम्य कविताओं के सम्मिलित षड्यंत्र के बावजूद रास्तों और मकानों में सीलन, कीचड़, मच्छर, मलेरिया और सांप-बिच्छू का ही आकर्षण था। पर कीचड़ से लथपथ और मलेरिया से जर्जर गांव की संक्रामक प्रारमा ने उन्हें अपनी ओर खींचा और दोनों ने एक-दूसरे को अपना लिया। जीवन के प्रति एक शांत, सम्यक् दृष्टि का परिचय देते हुए बाहरी वातावरण से ऊपर उठकर उन्होंने वहां के मानवीय स्तर को आत्मसात् करने की कोशिश की। इस प्रकार उन्होंने यथार्थ के सहज और आंतरिक सौंदर्य का वरण किया।

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