अमर कथायें | Amar Kathayen

अमर कथायें | Amar Kathayen

अमर कथायें | Amar Kathayen

अमर कथायें | Amar Kathayen के बारे में अधिक जानकारी :

इस पुस्तक का नाम : अमर कथायें है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Rajkumar Anil | Rajkumar Anil की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : | इस पुस्तक का कुल साइज 4.4 MB है | पुस्तक में कुल 161 पृष्ठ हैं |नीचे अमर कथायें का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अमर कथायें पुस्तक की श्रेणियां हैं : dharm, hindu, Stories, Novels & Plays

Name of the Book is : Amar Kathayen | This Book is written by Rajkumar Anil | To Read and Download More Books written by Rajkumar Anil in Hindi, Please Click : | The size of this book is 4.4 MB | This Book has 161 Pages | The Download link of the book "Amar Kathayen" is given above, you can downlaod Amar Kathayen from the above link for free | Amar Kathayen is posted under following categories dharm, hindu, Stories, Novels & Plays |

पुस्तक के लेखक :
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पुस्तक का साइज : 4.4 MB
कुल पृष्ठ : 161

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दैत्यराज महिषी की शोक का अंत न था। देवराज इंद्र उसे इन्द्र इन्द्रलोक ले जाने की तैयारी कर रहे थे कि उसी समय नारद जी वहां पहुँच गये। उन्होंने देवराज इन्द्र से आग्रह किया कि वे दैत्यराज महिषी को मुक्त कर दें। । इस पर इंद्र बोले, “गर्भस्थ सन्तान अगर पुत्र हुआ तो जन्म लेने के बाद देवताओं को बड़ा त्रास देगा, क्योंकि वह हिण्यकश्यप का पुत्र होगा।' नारद जी ने इंद्र को समझाते हुए कहा, 'गर्भस्थ बालक किसी प्रकार बैर में नहीं लाया जा सकता। वह निर्दोष है। इसके अलावा, गर्भ में जो बालक है। वह भगवद्भक्त हैं। तुम उसे मार नहीं सकते।' नारद जी के ऐसा कहने पर इंद्र ने असुर राज महिषी को छोड़ दिया। उसे दुःखी देखकर नारद जी का हृदय पसोज उठा। वह असुर राज महिषी को अपने यहाँ ले गये और बड़ी तत्परता से उसकी देखरेख करने लगे। वह प्रायः उसे ज्ञानोपदेश दिया करते ।

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