अतिक्रान्त | Atikrant के बारे में अधिक जानकारी :
इस पुस्तक का नाम : अतिक्रान्त है | इस पुस्तक के लेखक हैं : Ashapurna Devi | Ashapurna Devi की अन्य पुस्तकें पढने के लिए क्लिक करें : Ashapurna Devi | इस पुस्तक का कुल साइज 4 MB है | पुस्तक में कुल 134 पृष्ठ हैं |नीचे अतिक्रान्त का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इस पुस्तक को मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं | अतिक्रान्त पुस्तक की श्रेणियां हैं : Stories, Novels & Plays, Knowledge
Name of the Book is : Atikrant | This Book is written by Ashapurna Devi | To Read and Download More Books written by Ashapurna Devi in Hindi, Please Click : Ashapurna Devi | The size of this book is 4 MB | This Book has 134 Pages | The Download link of the book "Atikrant" is given above, you can downlaod Atikrant from the above link for free | Atikrant is posted under following categories Stories, Novels & Plays, Knowledge |
यदि इस पेज में कोई त्रुटी हो तो कृपया नीचे कमेन्ट में सूचित करें |
पुस्तक का एक अंश नीचे दिया गया है : यह अंश मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये |
शकुन्तला ने यह कभी सोचा ही न था, सोच ही नही सकी थी कि उसका कौर-जया बेटा विल्हू उसके साथ ऐसी दुश्मनी करेगा। हाय, हाय, हाय इवने दीर्घ दिनो की साधना के पश्चात्, सिदि जब हाथ आई, उसी क्षण, हाथ से छिटक कर दूर जा गिरी । दूर-दराज सागर से खे-खे कर नाव जब किनारे लगने को हुई, तभी कीचड़ में जो फैसा प्यास से तड़पती वह जैसे ही परिपूर्ण पानपात्र होठों से लगाने लगी, पानपात्र ठूट कर चकनाचूर हो गया और इस गजब की वजह क्या है ? वजह और कोई नही शकुन्तला ने जिस पुत्र को जन्म दिया है. वही है इन मुसीबतों का कारण ।